एसबीआई ने सूचना का अधिकार क़ानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि इनमें से ज्यादातर बॉन्ड एक करोड़ रुपये के थे। दूसरी ओर दस लाख, एक लाख, दस हजार और एक हजार के कम मूल्यवर्ग वाले बॉन्ड की कुल हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से भी कम थी।
चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में एसबीआई ने बताया कि बेचे गए कुल बॉन्ड में लगभग 93.5 प्रतिशत एक करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के थे, मूल्य के लिहाज से एक लाख, दस हजार और एक हजार मूल्यवर्ग के बॉन्ड की हिस्सेदारी 0.25 प्रतिशत से भी कम थी।
एसबीआई को 29 अधिकृत शाखाओं के जरिये चुनावी बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है, इनमें लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई स्थिति एसबीआई की शाखाएं शामिल हैं।
चुनावी बॉन्ड के पहले बैच की बिक्री 1-10 मार्च, 2018 को शुरू हुई थी. यह बॉन्ड जारी होने की तारीख से 15 दिनों के लिए वैध होता है, वैधता अवधि समाप्त होने के बाद बॉन्ड जमा करने पर किसी भी राजनीतिक दल को कोई भुगतान नहीं किया जा सकता है।
जिन पंजीकृत राजनीतिक दलों को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत या उससे अधिक वोट मिले हैं, वे ही चुनावी बॉन्ड से चंदा पाने के लिए पात्र हैं।
बता दें कि शीर्ष अदालत में भी चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों को चंदा मिलने के प्रावधान वाले कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। ये याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाई गई हैं।