2000 की नोट बंदी से बैंकों और बाज़ार पर होने वाला असर
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की ओर से 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का फ़ैसला बैंकों में जमा राशि और मुद्रा बाज़ार में नक़दी को बड़े स्तर पर बढ़ा देगा।
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रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि अगर बाज़ार में मौजूद कुल 2000 रुपये के नोटों का एक तिहाई भी बैंकों में वापस जाता है तो इससे उसकी जमा राशि और बाज़ार में नक़दी बढ़कर 40 हज़ार करोड़ रुपये से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच पहुंच सकती है।
इतना ही नहीं, रिपोर्ट में इस तरफ़ भी इशारा किया गया है कि अघोषित आय पर टैक्स से बचने के लिए जितने लोगों ने दो हज़ार रुपये के नोटों की जमाखोरी की, उन्हें अब गहने ख़रीदने और रियल एस्टेट सेक्टर में लगा दिया जाएगा।
आरबीआई ने ये कहा है कि फ़िलहाल ये गुलाबी नोट लीगल टेंडर यानी वैध रहेंगे लेकिन लोगों को 30 सितंबर तक इन्हें बैंकों में वापस जमा करना है।
रिसर्च' बताती है कि इस डेडलाइन के बाद इन नोटों का क्या होगा, इस पर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है। हालांकि, अगले चार महीनों में जिस तेज़ी से ये नोट बैंकों में जमा होंगे, वो एक बार फिर से 2016 में हुई नोटबंदी की यादों को ताज़ा कर सकते हैं।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश में फ़िलहाल 3.7 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के 2000 रुपये के नोट हैं।
ये सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 1.3 फ़ीसदी और मार्च महीने के आख़िर तक सर्कुलेशन यानी चलन में रही नक़दी का 10.8 फ़ीसदी है।
रिसर्च कंपनी ने नोट में कहा है कि अगर ये सारी राशि तय समय में बैंकों तक वापस लौटती है तो इससे बैंकों के जमा आधार में बड़ी बढ़ोतरी होगी।
शुभदा राव की अगुवाई वाली क्वॉन्टइको की अर्थशास्त्रियों की टीम ने इस ओर भी इशारा किया कि चूंकि 2000 रुपये के नोट अमूमन लेन-देन में इस्तेमाल नहीं होते थे। हालांकि, लोगों ने एहतियातन या फिर टैक्स से बचने के लिए इसकी जमाखोरी की दोनों ही मामलों में इसके चलन से बाहर होने की वजह से बैंकों की जमा राशि बढ़ना, अस्थायी साबित होगा क्योंकि लोग आख़िरकार छोटे नोटों का रुख करने लगेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अघोषित आय की वजह से रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीज़ों की मांग बढ़ने लगेगी, जैसा 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भी देखा गया था।
आख़िर में ये रिपोर्ट कहती है कि अगर ये माना जाए कि जमाखोरी वाली राशि का 10 से 30 फ़ीसदी हिस्सा वापस चलन में आ जाए तो इससे बैंकों के जमा आधार पर स्थायी असर होगा और बाज़ार में नक़दी भी 400 से 1100 अरब के बीच रहेगी।
इस बीच रविवार को भारतीय स्टेट बैंक ने कहा कि ग्राहकों को 2000 के नोट बदलने के लिए किसी आवेदन या आईडी प्रूफ़ की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, ग्राहक एक बार में 2000 के 10 नोट ही बदल सकते हैं।
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करने का एलान किया था।
अपने बयान में आरबीआई ने कहा था कि ये नोट वैध रहेंगे और 30 सितंबर 2023 तक इन्हें बैंकों में जमा कराया जा सकता है। नोटों की बदली के लिए सभी बैंकों को निर्देश भेज दिए गए हैं।
स्टेट बैंक ने अपने सभी लोकल हेड कार्यालयों के चीफ जनरल मैनेजर से कहा है कि बिना किसी स्लीप के 2,000 के 10 नोट ग्राहक बदल सकते हैं।
आरबीआई ने अपने ख़ाते में 2000 के नोट जमा करने के लिए अभी सीमा की घोषणा नहीं की है। नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सौ और हज़ार रुपए के नोट बंद करने की घोषणा की थी।
सोर्स : बीबीसी