बजार में टमाटर इस वक्त कई जगह 100 से 120 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह अदरक, हरी मिर्च, तोरई, भिंडी की कीमतें भी अचानक बढ़ गई हैं। मुंबई में, व्यापारियों ने कहा कि अत्यधिक गर्मी और बारिश में देरी के कारण उत्पादन कम हुआ है। वहीं, बेंगलुरु में व्यापारियों ने बताया कि राज्य में अपर्याप्त बारिश के कारण सब्जियों की कीमतें बढ़ गई हैं।
खुदरा बजार में टमाटर इस वक्त कई जगह 100 से 120 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह अदरक की कीमत 60 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 240 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो गई। हरी मिर्च पिछले महीने तक 40 रुपये प्रति किलो मिल रही थी, अब यह बढ़कर लगभग 160 रुपये प्रति किलो हो गई है।
मुंबई में 19 जून को टमाटर की कीमत थोक में 15 रुपये प्रति किलो और खुदरा बजार में में 40 रुपये/किलो थी। 26 जून को ये कीमतें क्रमश: 60 रुपये प्रति किलो और 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं। गुवाहाटी में तोरई, जो चंद दिन पहले तक 30 से 40 रुपये के बीच बिकती थी, अब 80 से 120 रुपये के बीच बिक रही है। भिंडी की कीमत 80 रुपये, हरी मिर्च की कीमत भी 150 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
पश्चिम बंगाल में अदरक, टमाटर और भिंडी की कीमत अब क्रमशः 100 रुपये, 47 रुपये और 57 रुपये है। राजस्थान में थोक बाजार में हरी मिर्च की आपूर्ति तीन रुपये प्रति किलोग्राम की जा रही थी, लेकिन 15 दिन पहले कीमत बढ़कर 25 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई थी। पहले 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाले करेले की कीमत बढ़कर 25 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी है।
सब्जियों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी की वजह क्या है?
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में, व्यापारियों ने भारी वृद्धि के लिए किसानों द्वारा अन्य फसलों को चुनने के अलावा अत्यधिक गर्मी और बारिश में देरी के कारण उत्पादन में कमी को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, बेंगलुरु में व्यापारियों ने बताया कि राज्य में अपर्याप्त बारिश के कारण सब्जियों की कीमतें बढ़ गई हैं।
केआर मार्केट के एक व्यापारी मंजूनाथ ने कहा, 'हमारे यहां पर्याप्त बारिश नहीं हुई। साथ ही गर्मी भी अधिक है। इन दोनों कारणों से सब्जियों की कई फसलें खराब हो गयीं। तापमान में बदलाव और पर्याप्त बारिश की कमी के कारण टमाटर को कीटों ने नुकसान पहुंचाया।'
थोक विक्रेताओं का कहना है कि चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की भारी बारिश सहित कई कारणों से पूरे राजस्थान में टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि हुई है। इनके अनुसार, चक्रवाती वर्षा के बाद आए मानसून से किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं, टमाटर की कीमतें चार से पांच गुना बढ़ गईं। इसके अलावा, सभी सब्जियों की कीमतें करीब दो गुना तक बढ़ गई हैं।
हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश, बेंगलुरु, नासिक टमाटर सहित अधिकांश सब्जियों के प्राथमिक स्रोत हैं। दिल्ली की आजादपुर मंडी में टमाटर ट्रेडर्स एसोसिएशन (टीटीए) के अध्यक्ष अशोक कौशिक का कहना है कि मार्च से जून तक, राजधानी में खपत होने वाले अधिकांश टमाटरों का उत्पादन हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किया जाता है। हालांकि, मई में बेमौसम बारिश और मानसून की जल्दी शुरुआत के कारण इन राज्यों में टमाटर का उत्पादन कमजोर हो गया, जिससे आपूर्ति सीमित हो गई।