केंद्र ने अमेरिका से आयात होने वाले सेब पर आयात शुल्क में 20 फीसदी की कटौती की है। इससे सेब उत्पादन में अग्रणी हिमाचल व जम्मू-कश्मीर के बागवानों में नाराजगी है। इनका कहना है कि शुल्क में कटौती से देसी सेबों के दामों में भारी गिरावट आएगी।
उत्पादन केंद्रों से आपूर्ति बढ़ने से टमाटर की आसमान छूती कीमतें 15 दिन में घट जाएंगी। खुदरा कीमतें दिल्ली में तुरंत कम होंगी, क्योंकि हिमाचल प्रदेश के सोलन व सिरमौर से टमाटर की आपूर्ति तेज हो गई है। देश के कई हिस्सों में टमाटर की कीमतें 120 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं।
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कीमतों पर काबू के लिए 35% अधिक दाल खरीदेगा भारत
कम उत्पादन के बीच तुअर दाल की कीमतों पर काबू पाने के लिए भारत चालू वित्त वर्ष में 35 फीसदी या 12 लाख टन अधिक दाल का आयात करेगा उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार ने कहा, तुअर दाल हमें परेशानी दे रही है। पिछले साल के स्तर की तुलना में इसकी अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत 25 फीसदी बढ़कर 128.66 रुपये प्रति किलोग्राम है। आयात शुरू होने के बाद यह कम होने लगेगी।
अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क हटाने से बागवान नाराज
केंद्र ने अमेरिका से आयात होने वाले सेब पर आयात शुल्क में 20 फीसदी की कटौती की है। इससे सेब उत्पादन में अग्रणी हिमाचल व जम्मू-कश्मीर के बागवानों में नाराजगी है। इनका कहना है कि शुल्क में कटौती से देसी सेबों के दामों में भारी गिरावट आएगी।
हिमाचल व जम्मू-कश्मीर के बागवान सरकार से विदेशी सेब के आयात शुल्क को दोगुना करने की मांग कर रहे थे। हिमाचल के बागवानों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से यह मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाने को की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया है। बागवानों का कहना है कि चार साल पहले केंद्र सरकार ने जब आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी, तब विदेशी सेब की आवक कम हो गई थी। संयुक्त किसान मंच हिमाचल के पदाधिकारियों का कहना है कि शुल्क में कटौती का केंद्र सरकार का यह कदम अन्यायपूर्ण है।
हिमाचल के कारोबार पर पड़ेगा विपरीत असर
अमेरिकी बाजार से सस्ता सेब मिलने से हिमाचल के सेब की खरीद पर विपरीत असर पड़ेगा। हिमाचल में 5 लाख से अधिक लोग सेब बागवानी से जुड़े हैं। सालाना 4 करोड़ पेटियों के उत्पादन से 5,000 करोड़ और कश्मीर में 7,000-8,000 करोड़ का कारोबार होता है।
बागवानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा असर
बागवानों ने कहा, अमेरिका में बागवानी आधुनिक तरीके से होती है। अमेरिकी सेब देखने में आकर्षक होते हैं, जबकि भारत में सेब की बागवानी चुनौतिपूर्ण है। इसलिए, इसकी उत्पादन लागत अमेरिकी सेब से अधिक होती है।
आयात शुल्क में कटौती के फैसले से घरेलू बागवानों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी सेब का आयात बढ़ने से क्षेत्र के कई बागवान सेब बागवानी छोड़ कुछ और काम करने लगे हैं।