मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कुछ दिनों पहले यह सवाल पूछा था। पहले जनसंघ फिर भाजपा और संघ परिवार की ओर से लगातार दावा किया जाता रहा है कि 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्ति का 'प्रकट होना' एक दैवीय घटना थी।
रामलला की मूर्ति को स्वयंभू बताने वाले लोग समय-समय पर श्रीराम लला के प्रकट होने में प्रकरण में कई लोगों के सहयोग की भी सराहना करते रहे हैं।
'रामलला के प्रकाट्य के प्रसंग में' जनसंघ और आरएसएस के नेता तत्कालीन कलेक्टर केके नायर और गीता प्रेस के संचालक हनुमान प्रसाद पोद्दार की अहम भूमिका की प्रशंसा करते रहे हैं।
पिछले 74 सालों से रामलला के रूप में उसी मूर्ति की पूजा-अर्चना होती रही है। भगवत प्रसाद पहाड़ी 1985 से रामलला के वस्त्र सिल रहे हैं, उनकी बाबूलाल टेलर्स नामक दुकान है।
भगवत प्रसाद कहते हैं, "पिताजी के साथ हम दो भाई, तीन बेटे और एक बहू मिलकर रामलला की सेवा कर रहे हैं। रामलला के वस्त्र बनाने के लिए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ़ से और भक्तों की तरफ़ से उन्हें ऑर्डर मिलते हैं।
कौन है जो सिल रहा रामलला के कपड़े
भगवत प्रसाद कहते हैं कि जब रामलला विराजमान गुम्बद में थे तो साल में एक ही पोशाक बनती थी।
वो बताते हैं, ''गुम्बद गिरने के बाद जब रामलला टेंट में आ गए तो केंद्र सरकार की तरफ़ से एक साल में सात बार रामलाल की पोशाक बनती थी।"
पहाड़ी बताते हैं कि रामलला विराजमान ज़्यादा बड़े नहीं हैं, 7 से 8 इंच के हैं. भगवान राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न सब एक ही नाप के हैं, बाल स्वरूप हैं और घुटनों के बल बैठे हुए हैं।
जब से रामलला लकड़ी के मंदिर में आए हैं, तब से भगवत प्रसाद को दर्शन करने आने वाले राम भक्तों से भी वस्त्र बनाने के आर्डर मिलने लगे. वो चारों भाइयों, भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के वस्त्र सिलने का काम करते हैं।
भगवत प्रसाद बताते हैं कि मौजूदा मंदिर में भगवान हनुमान और शालिग्राम भी विराजमान हैं। जब राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में एक शिवलिंग भी स्थापित किया था।
भगवत प्रसाद कहते हैं कि भगवान को रोज़ नया वस्त्र और नया भोजन मिलना चाहिए।
वो कहते हैं कि 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के लिए अभी उन्हें नए वस्त्र बनाने के लिए ट्रस्ट की तरफ़ से कोई आदेश नहीं मिला है।