शख्स ने पोस्ट में लिखा- अयोध्या के गोलू भारत के ज्यादातर पेशेवरों से अधिक कमाते हैं। लेकिन उससे भी अधिक उसका आत्मविश्वास, स्वैग और स्वतंत्रता की भावना जो किसी भी चीज़ से परे है।
रास्ते में एक शख्स उससे रुककर बात करने लगता है। और बच्चे से पूछता है, कितना कमा लेते हो? जब बच्चा कुछ नहीं बोलता, तो शख्स आगे पूछता है, सुबह कितने बजे उठते हो ?
आगे बच्चा कहता है कि वह 6 बजे उठता है और सुबह के 10 बजे तक सिंदूर लगाने का काम करता है। इसके बाद 8 बजे तक चंदन लगाने का काम करता है। वह अपने पूरे दिन की कमाई भी बताता है। इस पर शख्स कहता है कि तेरी सैलिरी तो डॉक्टर के बराबर है! तो बच्चा थोड़ा मुस्कुराता हुआ वहां से जाते हुए बोलता है। डॉक्टर से कम समझे हो क्या?
शख्स ने पोस्ट में आगे लिखा- अयोध्या के गोलू भारत के ज्यादातर पेशेवरों से अधिक कमाते हैं। लेकिन उससे भी अधिक उसका आत्मविश्वास, स्वैग और स्वतंत्रता की भावना जो किसी भी चीज़ से परे है।
गोलू में वो सड़कछाप चतुराई है जिसे ढूंढने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां IIM जैसे बिजनेस स्कूलों में जाती हैं। लेकिन, असल में भारत की गली-कूचों में ऐसे अनगिनत "गोलू" घूम रहे हैं, जिनमें से हर किसी में वही हौसला और आत्मविश्वास भरा हुआ है।
जरा सोचिए कि अगर इन युवा प्रतिभाओं को सही शिक्षा या व्यावसायिक मार्गदर्शन दे दिया जाए! तीस साल आगे बढ़ा कर देखें, तो हो सकता है ये लोग किसी बड़े मैनेजमेंट कॉलेज में क्लासरूम के सामने खड़े होकर लेक्चर्स दे रहे हों।