विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भारतीय शेयर बाजारों ) में ‘अंधाधुंध’ बिकवाली का सिलसिला जारी है। मई के पहले पखवाड़े में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 25,200 करोड़ रुपये की निकासी की है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, ऊंची मुद्रास्फीति, सख्त मौद्रिक रुख का असर शेयर बाजारों पर पड़ा है। इसके अलावा निवेशक मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर पर रहने के बीच वृद्धि को लेकर भी चिंतित हैं। हमारा मानना है कि निकट भविष्य में भी एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा।’
अप्रैल, 2022 तक लगातार सात माह बिकवाल रहे और उन्होंने भारतीय शेयरों से 1.65 लाख करोड़ रुपये निकाले। ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया का मानना है कि आगामी हफ्तों में भी एफपीआई की निकासी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि इस समय भारतीय शेयरों में एफपीआई की हिस्सेदारी घटकर 19.5 प्रतिशत पर आ गई है, जो मार्च, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
दो से 13 मई के दौरान की 25,216 करोड़ रुपये की निकासी
लगातार छह माह तक बिकवाली के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 7,707 करोड़ रुपये डाले थे। हालांकि, उसके बाद 11 से 13 अप्रैल के दौरान कम कारोबारी सत्रों वाले सप्ताह में उनकी निकासी फिर शुरू हो गई। उसके बाद से वे लगातार बिकवाल बने हुए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, दो से 13 मई के दौरान एफपीआई ने शेयरों से करीब 25,216 करोड़ रुपये की निकासी की है।
ब्याज दरों में हो रही वृद्धि
गत चार मई को रिजर्व बैंक ने बिना तय कार्यक्रम के रेपो दर को 0.4 प्रतिशत बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही केंद्रीय बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने भी ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की है।
सोर्स : नव भारत टाइम्स