कैसे थी सोने की लंका?
रामायण के अनुसार रावण की लंका बहुत सुंदर और खूबसूरत थी। 'स्वर्ण नगरी' के नाम से जानी जाने वाली रावण की लंका के चर्चे हर तरफ होते थे। सोने की लंका की बनावट के बारे में हर लोक में बातें हुआ करती थी। वैसे तो ज्यादातर लोग सोने की लंका को रावण की धरोहर मानते हैं लेकिन पुराणों के अनुसार में यह धरोहर किसी और की थी।
किसकी थी सोने की लंका ?
हिन्दू ग्रंथों के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और माता पार्वती जी से मिलने के लिए गए थे।
आपको बता दे कि कैलाश पर्वत पर बहुत ज्यादा ठंड थी और माता लक्ष्मी को हर तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आ रही थी। माता लक्ष्मी जी ने एक ऐसी जगह ढूंढ़ने की बहुत कोशिश करी जहां उन्हें कम ठंड लगे।
तब माता लक्ष्मी ने पार्वती जी से कहा कि आप खुद एक राजकुमारी हैं और कैलाश पर्वत पर इस तरह का जीवन यापन कैसे कर सकती हैं। इसके बाद माता पार्वती जी ने शिव जी से विनंती करी की बाकी देवी-देवताओं की तरह हमारा भी एक महल होना चाहिए।
तब शिव जी ने देवता विश्वकर्मा और देव कुबेर जी को बुलाकर समुद्र के बीच में सोने का महल बनवाया। इसे ही सोने की लंका कहा गया।
कैसे मिली थी रावण को सोने की लंका?
एक बार रावण समुद्र के बीच में स्थित सोने की लंका के पास से गुजर रहा था। वह लंका को देख कर बहुत आकर्षित हुआ और उसके मन ने लालच आ गया। फिर रावण ने ब्राह्मण का वेश धारण किया और शिवजी के पास गया और शिव जी से दान में सोने की लंका मांग ली थी। जिस वजह से शिव जी ने सोने की लंका उसे दे दी। इसके बाद पार्वती माता ने उसे यह छल करने के लिए श्राप भी दिया था।
तो इस तरह रावण को धोखे से सोने की लंका मिहर ज़िन्दगी
सोर्स हर ज़िन्दगी