छोटे बच्चों में कॉन्फिडेंस पैदा कर सकती है आपकी ये आदतें
आत्मविश्वास जीवन की बहुत बड़ी पूंजी है। यदि किसी में आत्मविश्वास हो तो वह बड़ी से बड़ी चुनौती का आसानी से सामना कर सकता है। इस आत्मविश्वास की शुरुआत बचपन से ही हो जाती है।
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कुछ बच्चे कई बार दूसरों के सामने बात नहीं कर पाते हैं, यह आत्मविश्वास में कमी के कारण होता है। तो चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं कि 3 से 4 साल के बच्चे में कैसे कॉन्फिडेंस लाया जा सकता है।
बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करवानें मेें माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चे का लालन-पालन करते समय उन बातों पर ध्यान देना जरूरी है, जिनसे बच्चों के आत्मविश्वास को ठेस पहुंच सकती है।
माता-पिता को प्रयास करना चाहिए कि बच्चे में बचपन से ही आत्मविश्वास के बीज बोएं। दरअसल अपनी क्षमता पर विश्वास ही आत्मविश्वास की कुंजी है। शोध बताते हैं कि आत्मविश्वास के अंकुर बहुत कम उम्र से ही पनपने लगते हैं।
आत्मविश्वास और प्रोत्साहन का बहुत गहरा संबंध है। अगर बच्चे को उसके अच्छे कामों के लिए प्रोत्साहित किया जाए, तो उसका स्वयं पर विश्वास मजबूत होता है। जब माता-पिता अपने बच्चे की क्षमता पर विश्वास करते हैं, तो यही विश्वास उस बच्चे का आत्मविश्वास बनता है।
जब आप उसकी मानसिकता को विकासपरक बनाते हैं, तो वह निर्णय लेने या कोई गलती कर देने से बहुत डरता नहीं है। उसे यह विश्वास होता है कि परिणाम अपेक्षित न भी आया हो, तो भी कम से कम उसने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ी। यह जीवन को दिशा देने के लिए बहुत जरूरी है।
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घर के कामों से जोड़ें रखे बच्चों को
कुछ माता-पिता अपने बच्चों को घर के कामों से दूर रखते हैं। उन्हें लगता है कि घर के कामों में जोड़ने से उसका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगेगा। ऐसा नहीं है। बच्चों को घर के छोटे-छोटे कामों का हिस्सा बनाना, उनका उत्साह बढ़ाता है।
उन्हें अपने बर्तन खुद सिंक में डालने को कहें, साथ ही अगर आप मशीन में कपड़े धो रहे हैं, तो उसे ध्यान रखने को कहें और बताएं कि कब बटन घुमाना है। इन कामों में सहयोग करने से बच्चा आत्मनिर्भर बनता है और खुद पर उसका भरोसा बढ़ता है।
बच्चों के परिणाम नहीं प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए
छोटा बच्चा जब कोई काम शुरू करेगा तो गलतियों की गुंजाइश रहेगी। इसलिए हमेशा प्रक्रिया पर ध्यान दें, उसके परिणाम पर नहीं। जब बच्चा कोई काम सही से पूरा कर ले तो उसकी प्रशंसा करें।
वहीं अगर काम में कोई गलती हो तो भी उसे सकारात्मक तरीके से समझाएं कि उसने अच्छा प्रयास किया और अगली बार वह कर लेगा। सही प्रक्रिया के लिए उसे प्रोत्साहित करना भविष्य में स्वयं उसे अच्छे परिणाम की ओर ले जाएगा।
बच्चे को गलतियां करने से ना रोकें
बच्चा गलतियों से ही सीखता है। इसलिए उसे गलतियां करने दें। गलतियों पर बहुत ज्यादा डांटने या मारने से बच्चा अगली बार काम करने से जी चुराने लगता है। ऐसा करना उसके विकास में बाधक होगा। इसलिए उसे गलतियां करने दें।
गलती होने पर उससे काम करने के तरीके पर बात करें और समझाएं कि उससे कहां चूक हुई। अगली बार वह ज्यादा ध्यान रखकर काम को सही तरीके से पूरा कर लेगा। इसी तरह बच्चे को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव होना भी गलत है। उसे कुछ चुनौतियों का सामना करने दें। उस पर निगरानी रखें, लेकिन हर मुश्किल काम करने रोकें मत।