पिछले साल पश्चिमी अफ़्रीक़ी देश गांबिया के बच्चों में किडनी की घातक समस्याओं से चार कफ़ सीरप को जोड़ने वाली यह तीसरी रिपोर्ट है। यही समस्याएं उनकी मौत का कारण बनीं।
इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने दो औद्योगिक रसायन डायएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल चार बाल चिकित्सा फॉर्मूलों में बड़ी मात्रा में पाए थे, जिनकी सीमा 1.0 फीसदी से 21.30 फीसदी के बीच थी।
यह दोनों रसायन मनुष्यों के लिए ज़हरीले माने जाते हैं। गांबिया की एक संसदीय जांच ने भी निष्कर्ष निकाला था कि मेडेन फार्मास्युटिकल्स मौतों का दोषी था और उसे ‘जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
भारत सरकार ने गांबिया को निर्यात किए गए उसी बैच के कंट्रोल सैंपल के परीक्षण के बाद घटना में फ़र्म को क्लीनचिट दे दी थी। इसने इनमें कुछ भी दूषित नहीं पाया था।
डब्ल्यूएचओ ने इस रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और इस साल जनवरी में विवादित चार उत्पादों के ख़िलाफ़ नए सिरे से अलर्ट जारी किया था। इसने पहला उत्पाद अलर्ट पिछले साल अक्तूबर में जारी किया था।
ये चार उत्पाद हैं- प्रोमेथेजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समलिन बेबी कफ सीरप, मैकॉफ बेबी कफ सीरप और मैग्रिप एन कोल्ड सीरप.
यूएस-सीडीसी रिपोर्ट अब कहती है कि इस जांच से दृढ़ता से पता चलता है कि गांबिया में आयातित डायएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित दवाएं बच्चों में एक्यूट किडनी इंजरी क्लस्टर का कारण बनीं।
यूएस-सीडीसी रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। गौरतलब है कि दिसंबर 2022 में भारत के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रिपोर्ट को भारत की छवि खराब करने का प्रयास बताया था।