इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि पर्याप्त पोषक तत्वों और कैलोरी के बिना हमारे मस्तिष्क को विकसित होने और ठीक से काम करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
लेकिन क्या रोज़मर्रा के जीवन में कुछ समय के लिए भूखा रहना हमारे सोचने के तरीके, हमारे मूड को प्रभावित कर सकता है?
कॉरपोरेट जॉब करने वालों और मार्केटिंग प्रोफ़ेशनल रविकांत कहते हैं, "अगर मुझे ज़ोरों की भूख लगी हो तो मुझे बहुत गुस्सा आता है, मैं चिड़चिड़ा हो जाता हूं। मैं कभी व्रत रख नहीं सकता क्योंकि मुझे बहुत भूख लगती है और मेरा मूड ख़राब हो जाता है।
अगर मैं अपनी एक भी मील भूल जाऊं तो मैं अपने आस-पास सब पर गुस्सा होने लगता हूं। जब मैं 10वी-12वीं कक्षा में था तब मुझे इस बात का इल्म होने लगा कि अगर मेरा पेट नहीं भरा है तो मुझे गुस्सा आता है।"
खाना आपकी अच्छी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है। आज कल सेलिब्रिटी भी अपने अपने डायट प्लान लेकर आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक़ डायट खाने का लगातार बढ़ता बाज़ार करीब 250 बिलयन डॉलर का उद्दयोग बन चुका है।
वज़न कम करने की कोशिश कर रहे दो हज़ार लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाता चला कि इनमें से जिन लोगों ने अपना वज़न थोड़ा भी घटाया, उनमें से 80 फ़िसदी लोग में डिप्रेशन के लक्षण पाए गाए।
खाने का इमोशन्स पर पड़ने वाला असर
हमारी सोच पर हमारे इमोशन्स पर हावी रहते हैं। ख़ासकर तब जब हम अपनी भावनाओं को समझते और स्वीकारते नहीं हैं। अगर हमें पता हो कि हमारी भावनाएं क्यों और किस वजह से आ रही हैं तो हम उन्हें नियंत्रण में कर सकते हैं।
मनोवैज्ञानिक और सीनियर कंसल्टेंट निशा खन्ना बताती हैं, "इंसान की तीन बुनियादी ज़रूरतें होती हैं, भूख/प्यास, सोना और शारीरिक ज़रूरतें होती हैं। अगर इन तीनों में से कोई एक भी पूरी नहीं होती तो ये हमारे मेंटल हेल्थ पर असर डाल सकती हैं।
हम कितने घंटे भूखे रहते हैं इसका सीधा असर हमारे दिमाग़ से है। रिसर्च कहती है कि नाश्ता बहुत ज़रूरी है, क्योंकि सुबह जिस ऊर्जा की हमें ज़रूरत होती है, वो इससे पूरी हो जाती है. खाना हमारे फ़ैसले लेने की शक्ति, याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर असर डालता है।"
खाना हमारे मूड को कैसे बदलता है?
साल 2022 में की गई एक स्टडी बताती है कि ख़राब मूड अक्सर हमें निराशावादी बना देता है, जो हमारी सोच को और ज़्यादा नकारात्मक बना सकता है। अगर आपको इस चीज़ का इल्म ना हो कि आपका मूड कितना ख़राब है तो आपके ग़लत फ़ैसले लेने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।