गोरा करने वाली ब्लीच के कारण भुगतना पड़ा खामियाजा
हॉलीवुड की स्टार मेर्ले ओबेरॉन के बारे में मिलता है कि अपने शरीर को सुन्दर दिखाने के लिए इस्तेमाल की ऐसी ब्लीच जिस के कारण उनका शरीर गोरा हाने के बजाए खराब हो गया जिसके कारण अपने ही देशवासियों ने इन्हें भुला दिया।
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जिस वक्त देश में अंग्रेज भारतीयों पर जुल्म ढहा रहे थे। उस वक्त एक भारतीय लड़की हॉलीवुड में अपनी खूबसूरती और कातिल अदाओं से लोगों को अपना दीवाना बना रही थी। भारतीय हॉलीवुड स्टार मेर्ले ओबेरॉन ने 'ब्लैक एंड व्हाइट' जमाने में एक से एक बढ़कर शानदार फिल्में की। अभिनय के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई। साउथ एशिया में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली अभिनेत्री का तमगा हासिल किया।
क्या है अभिनेत्री मेर्ले ओबेरॉन की कहानी...
अमेरिकी लेखक मायुख सेन भारतीय मूल की अभिनेत्री मेर्ले ओबेरॉन की कहानी दक्षिण एशिया के नजरिये से दुनिया के सामने लाने पर काम कर रहे हैं। सेन का कहना कि साल 2009 में जब मुझे पता चला कि मेर्ले ओबेरॉन साउथ एशिया की पहली एक्ट्रेस थीं, जिन्हें ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था। इसके बाद उनकी फिल्में देखना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके बारे में जानने को लेकर मेरी रुचि बढ़ती चली गई। तब पता चला कि हॉलीवुड में स्वर्ण काल बिताने वाली अभिनेत्री ने अपनी जिंदगी की बहुत सारी बातें कभी दुनिया के सामने नहीं आने दीं।फिल्म देखकर अभिनेत्री बनने की ठानी
अभिनेत्री मेर्ले ओबेरॉन का जन्म साल 1911 में बॉम्बे (अब मुंबई) के एक एंग्लो इंडियन परिवार में हुआ था। साल 1914 में उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद परिवार कोलकाता में बस गया। ओबेरॉन ने साल 1920 में 'कलकत्ता एमेच्योर सोसाइटी' के माध्यम से एक्टिंग शुरू की थी। बीबीसी न्यूज से बीतचीत मे अमेरिकी लेखक सेन बताते हैं, मेर्ले ओबेरॉन ने साल 1925 में फिल्म 'द डार्क एंजेल' देखी, जोकि साइलेंट मूवी थी। उन्होंने इस फिल्म की अभिनेत्री विल्मा बंकी से इंस्पायर होकर एक्टर बनने की ठान ली। सेना के एक कर्नल ने उन्हें एक फिल्म निर्देशक रेक्स इनग्राम से मिलाया, जिन्होंने अपनी एक फिल्म उन्हें छोटा सा रोल दिया। इसके बाद वे साल 1928 में फ्रांस चली गईं।
ओबेरॉन की मां शार्लोट शेल्बी का रंग सांवला था, जोकि नौकरानी बनकर बेटी के साथ रहीं। वहीं साल 2014 में आई डॉक्यूमेंट्री 'द ट्रबल विद मेर्ले' में पता चला कि शेल्बी ओबेरॉन की दादी थी। हालांकि, डॉक्यूमेंट्री में तस्मानिया को उनका जन्म स्थान बताया गया है। इसमें कहा गया है कि अपने पिता की दुर्घटना में मौत के बाद ओबेरॉन भारत आई थीं। उन्होंने तस्मानिया को अपना होमटाउन बताया, जबकि कलकत्ता का जिक्र शायद ही कभी किया। हालांकि, कई अंग्रेजों के 1920 से 1930 बीच कलकत्ता को लेकर लिखे गए संस्मरणों में उनका जिक्र है। यह भी दावा किया जाता है कि वह अभिनेत्री बनने से पहले टेलीफोन एक्सचेंज के स्विच बोर्ड में ऑपरेटर थीं।
जिस फिल्म निर्माता ने दिया बड़ा ब्रेक, उसी से की शादी
ब्रिटिश फिल्म निर्माता अलेक्जेंडर कोरडा ने 'द प्राइवेट लाइफ ऑफ हेनरी VIII' (1933) में कास्ट कर मेर्ले ओबेरॉन को पहला बड़ा ब्रेक दिया। बाद में मेर्ले ने अलेक्जेंडर कोरडा से शादी कर ली। उन्हें हॉलीवुड की कुछ और फिल्में मिलीं, जिसके बाद वे अमेरिका चली गईं। साल 1935 में आई 'द डार्क एंजल' फिल्म उनकी शानदार भूमिका के लिए उन्हें ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया। फिल्म 'क्लासिक वुथरिंग हाइट्स'(1939) में लीड भूमिका निभाई, जिसकी लोगों ने खूब प्रशंसा की। इसमें उनके साथ दिग्गज अभिनेता लॉरेंस ओलिवियर भी थे। इससे हॉलीवुड में उनकी एक खास जगह बन गई। साल 1945 में कोरडा को तलाक देकर ओबेरॉन ने अमेरिकी सिनेमैटोग्राफर लूसियन बल्लार्ड से शादी कर ली थी।
अमेरिकी लेखक सेन का कहना है कि कोरडा और अमेरिकी फिल्म निर्माता सैमुअल गोल्डविन ने ओबेरॉन एक्टिंग स्किल निखारने में मदद की। साथ ही भाषा समेत उन सभी चीजों पर काम कराया गया, जिससे ओबेरॉन साउथ एशियाई मूल की न लगें। ओबेरॉन के गोरे रंग ने उन्हें हॉलीवुड में छाए रहने में मदद की, लेकिन मिश्रित नस्ल के राज को वे हमेशा छिपाती रहीं ताकि फिल्म पत्रकार सिर्फ उनके गोरे रंग पर ध्यान दें, मिश्रित नस्ल पर नहीं। दावा किया जाता है कि ओबेरॉन अपनी त्वचा को गोरा बनाने के लिए ब्लीच ट्रीटमेंट कराती थीं, जिसका खामियाजा उन्हें बाद में भुगतना पड़ा था। उनकी स्किन खराब हो गई थी। वही कुछ लोग कहते थे कि उन्हें कैमरे पर गोरा दिखाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था।
सोर्स : दैनिक भास्कर