अमरीका के प्रिसिडेंट की इस यात्रा का कई मानवाधिकार संगठन और कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह अमरीका के मानवाधिकार समर्थन के नारे के विरुद्ध है।
राष्ट्रपति बाइडन अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मानवाधिकार पर काफ़ी ज़ोर देते रहे हैं। हालांकि मौजूदा राजनीतिक स्थितियों में उनके सऊदी दौरे से बाइडन की मूल्य आधारित विदेश नीति की विश्वसनीयता पर ख़तरा मंडरा रहा है।
बताते चलें कि सऊदी अरब उन देशों में से हैं जिस पर लगातार मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहते हैं। जब से सऊदी अरब की सत्ता किंग सलमान के बेटे बिन सलमान के हाथों में आई है इस देश में मानवाधिकार की स्थिति गंभीर हुई है।
इस देश में महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वालों कार्यकर्ताओं को जेलों में डाला गया है, जेलों में उनके साथ अमानवीय बर्ताव किया जाता है। उनका उत्पीड़न किया जाता है।
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अभी हाल में ही एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि सऊदी अरब की जेलों में बंद महिला कैदियों के साथ जेल अधिकारियों द्वारा बलात्कार आम है।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिसं बिन सलमान पर वाशिंग्टन पोस्ट के सऊदी मूल के बिन सलमान के आलोचक पत्रकार जमाल खगोशी की तुर्की स्थिति सऊदी दूतावास में निर्मम हत्या का आरोप है। एफबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह हत्या क्राउन प्रिंस के सीधे आदेश पर की गई थी। हालांकि सऊदी अरब ने इन आरोपों का खंडन किया है।
इन हालात में बाइडन की सऊदी अरब यात्रा और क्राउन प्रिंस के साथ उनकी मुलाकात का मानवाधिकार कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि बिन सलमान से मुलाकात उनके अपराधों पर आँखें मूंदना है। इसके बाद सऊदी अरब अपने विरोधियों का और कड़े रूप से दमन करेगा।
कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि सऊदी अरब अपने पेट्रोडालर की मदद से अमरीका का मुंह भरे हुए है, और अमरीका सऊदी अरब के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही करने की स्थिति में नहीं है।