सरकारी हथकंडो के बीच यूएई में बढ़ती गरीबी दर
सरकारी रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि संयुक्त अरब अमीरात में गरीबी की दर बढ़ गई है और परिवार मदद के लिए चैरिटी समूहों की ओर रुख कर रहे हैं।
Table of Contents (Show / Hide)
यूएई की चैरिटी संस्था "बैत अल खैर" के अधिकारियों में से एक ने इस अमीर देश में बढ़ती गरीबी दर, सरकारी बाधाओं के कारण व्यापक सर्वेक्षण करने में यूएई सरकार की विफलता की आलोचना की है।
अमीरात के जमीयत बैत अल खैर के महाप्रबंधक अबेदीन अल अवदी ने कहा कि अमीराती नागरिकों की तरफ़ से इस संगठन और अन्य अमीराती चैरिटी संस्थानों से दान प्राप्त करने के अनुरोधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
स्थानीय समाचार पत्र अल बायन अखबार द्वारा प्रकाशित एक बयान में, अल अवदी ने कहा: दान प्राप्त करने के बढ़ते अनुरोध देश में बेरोजगारी में वृद्धि, विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों की बढ़ती जरूरतों को दर्शाता है।
यूएई में चैरिटी संस्थाओं के सामने आने वाली कई चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा: इन चुनौतियों में प्रमुख हैं संस्थाओं के बीच समन्वय की कमी, विशेष चैरिटी स्टाफ की कमी और सामाजिक सर्वेक्षणों की कमी जो हमें योग्य समूहों की पहचान करने में सहायता करते हैं।
यह भी पढ़ें तेहरान में ईरान-रूस-तुर्की की बैठन ने नाटो के मतभेदों को उजागर कर दिया
अमीरात के जमीयत बैत अल खैर के महाप्रबंधक ने कहा: एक और बड़ी चुनौती जिसका सामना आज अमीराती चैरिटी कर रहे हैं, वह है सहायता की बढ़ती मांग की तुलना में सीमित फंडिंग, क्योंकि इन संस्थानों के वित्तीय संसाधन ज़कात और अन्य सभी अन्य दूसरे अस्थाई तक सीमित हैं। हमारे पास कोई स्थिर फंडिंग स्रोत नहीं है।
उन्होंने समझाया: 2008 के वित्तीय संकट और कोरोना के दो साल के संकट और अन्य वैश्विक संकटों से उत्पन्न आर्थिक स्थितियों से अमीराती नागरिकों की आय प्रभावित हुई है।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि अमीराती नागरिकों में बेरोजगारी दर 20 प्रतिशत से अधिक है। संयुक्त अरब अमीरात में उच्च बेरोजगारी दर मुख्य रूप से गहरे सामाजिक और कबीलाई मतभेद, जनसंख्या संरचना और कई नौकरियों में अमीराती नागरिकों को रोजगार देने से इनकार करने के कारण है, जिससे कारण स्थानीय नागरिकों को विभिन्न प्रकार के ऋण और उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
यूएई में सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त करने के सख्त नियम हैं। किसी भी व्यक्ति को सरकारी सहयता देने से पहले सरकार उसकी आय, संपत्ति, परिवार के सदस्यों संख्या के आधार पर घर में कमरों का अनुपात, किराये की स्थिति और परिवार के स्वास्थ्य की स्थिति को देखती है।
सार्वजनिक और चैरिटी संस्ताओं की तरफ़ से सहायता प्राप्त करने वाले कम से कम 98 प्रतिशत परिवारों पर कर्ज है जो उन्हें जीवन की आवश्यकताओं पर खर्च करने से रोकता है।
दिलचस्प बात यह है कि अमीराती नागरिक संयुक्त अरब अमीरात की कुल आबादी का केवल 9 प्रतिशत हैं, और संयुक्त अरब अमीरात सरकार गरीबी पर कोई आधिकारिक डेटा प्रदान नहीं करती है। जानकारी के इस अभाव ने समाज पर निर्णय के तथ्यों के बारे में कई चिंताएँ पैदा की हैं।
यह भी पढ़ें इजरायल के प्रधानमंत्री अचानक पहुँचे UAE, ईरान है वार्ता का मुख्य मुद्दा
पिछले मार्च में, अमीरात ने ट्विटर पर “अमीराती नागरिकों को नौकरी में प्रथामिकता” कैंपेन लॉन्च किया और इस साल जून में वर्तमान स्थिति पर अमीरात के किंग बिन ज़ायद के सामने विरोध प्रकट करने के लिए प्रदर्शन करते सैकड़ों बेरोज़गार अमीराती नागरिकों का वीडियो शेयर किया है।
दुबई में एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले मई में घोषणा की थी कि समस्या का समाधान करने में सरकार की विफलता के कारण संयुक्त अरब अमीरात में बेरोजगारी का संकट है।
"गल्फ थॉट्स" के अध्ययन केंद्र ने एक अध्ययन में कहा कि संयुक्त अरब अमीरात में गरीबी रेखा में वृद्धि का सबसे महत्वपूर्ण कारण संयुक्त अरब अमीरात के शासक परिवारों के आश्चर्यजनक और बेतहाशा खर्च, इन खर्चों का खुलासा न होना, औऱ विदेशों को अमीरात की वित्तीय सहायता है।
क्रिस्टोफर डेविडसन, इंग्लैंड में "डरहम" विश्वविद्यालय में मध्य पूर्व नीति के प्रमुख, अमरीकी पत्रिका "फ़ॉरेन पॉलीसी" द्वारा प्रकाशित एक लेख में लिखते हैं: "अमीराती नागरिकों की वास्तविक तस्वीर वह नहीं है जो प्रसारित की जाती है। इस देश में नौकरी के अवसर केवल दुबई और अबू धाबी तक सीमित हैं, दूसरे पाँच राज्य गरीबी की खाई में गिरे हुए हैं, इन राज्यों में अमीरों और गरीबों के बीच खाई चौड़ी हो रही है।
डेविडसन कहते हैं: अगर यूएई में विरोध और आलोचना की आवाज सुनाई नहीं दे रही है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि इसके नागरिक संतुष्ट हैं, वास्तविकता कुछ और है, वास्तविकता यह है कि यूएई के कई निवासी "अल-बदाऊं" हैं। अल बदुन का अर्थ है वह प्रवासी या संयुक्त अरब अमीरात के वह निवासी जिन्हें उस देश के कानूनों के तहत अमीराती नागरिकता नहीं दी गई है। यह कई नस्लों से अमीरात में रह रहे हैं। लेकिन वे नागरिकता के मूलभूत अधिकारों से भी वंचित हैं, और संयुक्त अरब अमीरात समाज के सबसे गरीब वर्ग हैं।
संयुक्त अरब अमीरात में वास्तविक गरीबी को मजदूर वर्ग की कामकाजी परिस्थितियों में देखा जा सकता है। प्रवासी काम की तलाश में दुबई आते हैं और उनसे अच्छे और स्वस् जीवन का वादा किया जाता है। लेकिन दुर्भाग्य से इन आश्वासनों को शायद ही कभी पूरा किया जाता है।