भारत समेत 32 देशों ने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 77वीं वार्षिक बैठक के अवसर पर अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा है कि वे अंतर्राष्ट्रीय शासन व्यवस्था को अधिक समावेशी और सहभागिता पूर्ण बनाने के लिए काम करने के प्रति संकल्पबद्ध हैं ताकि विकास संबंधी चुनौतियों, ग़रीबी, जलवायु परिवर्तन, महामारी, खाद्य सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संकटों और आतंकवाद का समाधान किया जा सके। वक्तव्य में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद में सुधार में देरी से वैश्विक शांति और सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है और संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के इस सिद्धांतों पर अमल करने में व्यवधान हो रहा है। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणी में विस्तार किया जाना चाहिए और सुरक्षा परिषद की कार्य प्रणाली में सुधार करके ही इसे प्रभावी बनाया जा सकता है।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 77वीं वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार की ज़रूरत है क्योंकि यह पुरानी पड़ चुकी है और प्रभावहीन है। उन्होंने सुरक्षा परिषद को गहन रूप से पक्षपाती, सम्पूर्ण महाद्वीपों और क्षेत्रों की आवाज़ को एक ऐसे मंच पर शामिल करने से रोकती है जहां उनके भविष्यों के बारे में चर्चा होती है। एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा किए जाने और निर्णायक समाधान का आहवान किया, और गंभीर बातचीत से ईमानदारी से आगे बढ़ें, नाकि उन्हें प्रक्रियात्मक आधार पर रोक दिया जाए। भारतीय विदेश मंत्री ने अपने सम्बोधन के अन्त में कहा, हमारा यह मानना है और हम इसका समर्थन भी करते हैं कि यह दौर युद्ध या संघर्ष का नहीं है। इसके उलट, यह समय विकास और सहयोग का है। उन्होंने कहा कि यह बहुत अहम है कि हम राजनय की क्षमता और अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता में भरोसा जारी रखें।