भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में फ़ैज़ाबाद के क़रीब आयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद का गिराया जाना केवल एक घटना नहीं है बल्कि इसे भारत के इतिहास में एक अहम मोड़ भी माना जाता है। कहते हैं कि इस प्रकरण ने भारत की राजनीति और भारत के समाज पर बहुत गहरा असर डाला जिसके नतीजे आज के भारत में बहुत खुलकर नज़र आते हैं।
6 दिसम्बर 1992 को कार सेवकों के रूप में तैयार की गई दंगाई भीड़ ने सोलहवीं शताब्दी में बनी बाबरी मस्जिद गिरा दी। इसके बाद भारत में कई बस्तियों में हिंदु मुस्लिम फ़सादात गए और बहुत सारे लोग मारे गए जिनमें अधिकतर मुसलमान थे।
अब बाबरी मस्जिद की जगह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। अयोध्या से 26 किलोमीटर दूर धनीपुर नाम के गांव में बाबरी मस्जिद के लिए 5 एकड़ ज़मीन आवंटित की गई है जहा इस योजना की मंज़ूरी विलंब का शिकार है, जब मंज़ूरी मिलेगी तब वहां निर्माण का काम शुरू होने का रास्ता साफ़ होगा।
जाने माने पत्रकार क़ुरबान अली का कहना है कि कुछ घटनाएं होती हैं जिनकी आप साक्षी बन जाते हैं और जो आपके दिलो दिमाग़ पर इस तरह छा जाती हैं कि कभी दिमाग़ से नहीं निकलतीं, वो हमेशा आपको डराती रहती हैं। उन्हीं में से एक घटना 6 दिसम्बर 1992 की है जब दिन दहाड़े बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया। आज अगर कांग्रेस पार्टी और इस पार्टी के नेता राहुल गांधी को यह एहसास हो रहा है कि भारत को जोड़ने की ज़रूरत है, नफ़रतों को दूर करने की ज़रूरत है वरना इससे पूरे समाज और पूरे देश को इतना बड़ा नुक़सान पहुंचेगा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती तो शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि कांग्रेस की तरफ़ से यह भूल सुधार का कार्यक्रम भी है।