ग़ज़ा के लोगों को मिली उम्मीद की एक छोटी सी किरण, 20 ट्रकों को घुसने की दी इजाज़त
गाजा युद्ध की शुरुआत और इस क्षेत्र पर इजरायल के हमले के साथ, तुर्की के लोगों ने फिलिस्तीनी प्रतिरोध और गाजा के लोगों के समर्थन में, तुर्की में इजरायली सामानों का बहिष्कार शुरू किया है।
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मदद के लिए रफ़ाह क्रॉसिंग पर तैयार कई ट्रक, ग़ज़ा में फंसे लाखों लोगों के लिए लंबा होता इंतज़ार आने वाले दिनों में खाने, पानी और दवाओं से भरे करीब 20 ट्रकों को ग़ज़ा में घुसने की इजाज़त दी जाएगी।
इसराइल ने 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से ग़ज़ा में बिजली, पानी सेवा काट दी है। साथ ही खाने और दवाइयों की डिलीवरी को भी बंद कर दिया गया हैा इसके बाद ग़ज़ा की 21 लाख लोगों वाली आबादी के पास हर दिन की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने का सामान दिनोंदिन घटता जा रहा है।
लेकिन बड़े-बड़े मानवीय संगठनों ने चेताया है कि ग़ज़ा में राहत सामग्री पहुंचाना किसी सागर में बूंद जैसा होगा। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ग़ज़ा में रह रहे 23 लाख लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कम से कम 100 ट्रकों की ज़रूरत होगी।
फिलहाल केवल 20 ट्रकों को ही ग़ज़ा में घुसने की मंज़ूरी मिली है। संयुक्त राष्ट्र के रिलीफ़ एंड वर्क्स एजेंसी (यूएनडब्लूआरए) के कमिश्नर जनरल फ़िलिप लज़ारिनी को बताया कि युद्ध से पहले मदद वाले करीब 500 ट्रक एक दिन में ग़ज़ा जाते थे।
जॉर्डन की राजधानी अम्मान में यूएनडब्लूआरए की प्रवक्ता जूलियट तौमा ने भी यही दोहराया। उन्होंने कहा कि युद्ध शुरू होने से पहले भी 12 लाख लोग यूएनडब्लूआरए की ओर से मिलने वाली खाद्य सहायता पर आश्रित थे।
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उन्होंने कहा, "ग़ज़ा पट्टी में ग़रीबी बहुत, बहुत ही अधिक है। यहां युद्ध से पहले भी हालात खराब थे अब तो ये त्रासदीपूर्ण हो रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल-सिसी के बीच रफ़ाह बॉर्डर (मिस्र) के रास्ते सीमित मात्रा में मदद पहुंचाने को लेकर बुधवार को सहमति बनी थी।
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने बुधवार को पुष्टि की कि इसराइल मिस्र के रास्ते दक्षिणी ग़ज़ा तक जा रही मदद को नहीं रोकेगा। हालांकि, इसराइल सरकार ने सिर्फ़ खाने, पानी और मेडिकल सप्लाई की ही इजाज़त दी है. ईंधन जैसी और बुनियादी ज़रूरतों को नहीं।
ग़ज़ा पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ईंधन बेहद ज़रूरी है और इसके बिना पानी का संकट पैदा हो सकता है। ईंधन के बिना वॉटर पम्पों का संचालन भी ठप हो जाएगा।
लज़ारिनी का कहना है कि अगर ईंधन नहीं पहुंचा तो फिर हमें पानी पहुंचाने के लिए और ट्रकों की ज़रूरत होगी। सहायता पर हुए समझौते ने ग़ज़ा के लाखों लोगों के लिए उम्मीद की एक छोटी सी किरण जगाई है। इससे पहले अभी तक ये अस्पष्ट था कि नागरिकों तक कोई मदद पहुंचेगी कैसे।
इसराइल ने कहा था कि जब तक हमास बंधक बनाकर ले गए नागरिकों को नहीं छोड़ता, तब तक वो अपने क्षेत्र से किसी भी मदद को नहीं गुज़रने देगा। वहीं ये मदद मिस्र के रास्ते रफ़ाह सीमा को भी पार नहीं कर पा रही थी।
मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरे ने कहा कि रफ़ाह क्रॉसिंग पर चार बार हवाई बमबारी हो चुकी है और अभी तक यहां से लॉरियों और ट्रकों को ग़ज़ा तक सुरक्षित पहुंचाने पर भी कोई पुख्ता सहमति नहीं दिखी थी। इसलिए इस रास्ते से मदद आगे नहीं जा रही थी।
उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करूंगा कि ये जानने की कोशिश हो कि इस क्रॉसिंग पर बमबारी क्यों हुई और ये बमबारी किसने की।
हालांकि, ज़रूरतमंदों के पास ये सहायता कब तक पहुंचेगी, इसको लेकर अभी भी स्थिति साफ़ नहीं है। रफ़ाह क्रॉसिंग पर सड़कों की मरम्मत करनी होगी, तभी यहां से कोई ट्रक आगे गुज़र पाएगा।
लेकिन मिस्र के फूड बैंक के मोहसिन सारहान कहते हैं कि समय और सप्लाई दोनों ही घटते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 120 लॉरियां डिलीवरी के लिए तैयार हैं और ये सीमा पर सुरक्षित रास्ते से निकलने के इंतज़ार में हैं।
वो कहते हैं, "हम बहुत नाराज़ हैं क्योंकि हमें ये पता है कि वहां लोगों के पास पानी तक नहीं है। उनके पास ताबूत नहीं हैं। उनके पास अब कुछ नहीं बचा है।