प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की वकालत करने वाले मानवाधिकार संगठन migrant-rights.org की एक मानवाधिकार रिपोर्ट ने सऊदी अधिकारियों द्वारा महीनों से जारी नई जेद्दा परियोजना के कारण आधे मिलियन प्रवासियों के विस्थापन का खुलासा किया है।
संगठन के मुताबिक, फारस की खाड़ी के ज्यादातर देशों में मलिन बस्तियों में रहने वाले कम आय वाले प्रवासी कामगारों को निशाना बनाना आम बात है। हालांकि, संगठन ने जोर देकर कहा कि सऊदी अधिकारियों ने मलिन बस्तियों में रहने वाले प्रवासियों के भाग्य के बारे में सोचे बिना उनके घरों को ध्वस्त कर दिया।
बड़े प्रोजेक्टों के लिए बड़े पैमाने पर जेद्दा में आवासीय क्षेत्रों का विध्वंस सऊदी सरकार की योजना का हिस्सा है। जेद्दा में अब तक कम से कम 10 मोहल्लों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है, और 10 अन्य मोहल्लों में ध्वस्तीकरण कार्य जारी है।
यह परियोजना लगभग 60 क्षेत्रों को लक्षित करती है, जिनमें से ज्यादातर शहर के दक्षिणी भाग में हैं। इस परियोजना के महीनों तक चलने की उम्मीद है।
जेद्दा के निवासियों का कहना है कि वह सऊदी अधिकारियों की कार्यवाही से चकित हैं, क्योंकि उन्हें घर छोड़ने और दूसरे स्थान पर बसने के लिए बहुत कम समय दिया गया है।
कई जेद्दा निवासियों ने यह भी बताया कि सरकार ने उन्हें अस्थायी आवास या मुआवजा नहीं दिया है। सच्चाई यह है कि वह लोग जो कल तक मकान मालिक थे वह सऊदी अधिकारियों की कार्यवाही के कारण अब अचानक किरायदार में बदल गए हैं।
जेद्दा में बड़े स्तर पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही इसलिए जारी है क्योंकि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस शहर में चार प्रमुख विश्व स्तरीय इमारतों, ओपेरा हाउस, संग्रहालय, स्पोर्ट्स स्टेडियम और ओशन पूल और कोरल फार्म के निर्माण के लिए एक नई निवेश परियोजना शुरू की। इसके अलावा इस शहर में विजन 2030 योजनाओं के कार्यान्वयन के ढांचे में 10 विशेष पर्यटन परियोजनाएं भी शुरू की जानी हैं।
विभिन्न सूत्रों ने बताया कि जेद्दा की नगर पालिका ने इन मोहल्लों के निवासियों को घर खाली करने के लिए 48 घंटे और कुछ को केवल 24 घंटे का समय दिया है, और कुछ को अपने घरों को तुरंत खाली करने का भी आदेश दिया है।
सऊदी अरब की तरफ़ से जारी इस परियोजना से रिपोर्ट के अनुसार कई भारतीय भी प्रभावित हुए हैं, और उनको मेहनत मज़दूरी से बनाए घरों से हाथ धोना पड़ा है।
मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार निवासियों का कहना है कि मुआवज़े को तौर पर जो मूल्य सरकार की तरफ़ से दिया गया है वह उनकी सम्पत्ती की कीमत का एक तिहाई भी नहीं है। इसी प्रकार कई निवासियों ने मीडिया सूत्रों से यह भी बताया है कि जेद्दा की नगर पालिका बिन किसी पूर्व चेतावनी के पानी, बिजली और सेवाओं को काट रही है।
सऊदी अधिकारी शहर को विकसित करने के बहाने घरों को गिरा रहे हैं और निवासियों को विस्थापित कर रहे हैं, जबकि जेद्दा में वर्षों से रुकी हुई दर्जनों परियोजनाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
ऐसा लगता है कि सऊदी सरकार सार्वजनिक असंतोष की परवाह किए बिना महल्लो को नष्ट करना जारी रखने के लिए दृढ़ है।