सय्याद खुदाई की हत्या तेहरान-तेलअवीव टकराव के खेल में नए कानून लिखेगा
बहुत से विश्लेषकों ने सय्याद खुदाई की हत्या ईरान और इजराइल के बीच मुकाबले का टर्निंग प्वाइंट मानते हुए तेल अवीव और तेहरान के बीच नए खेल के सिद्धांतों और नियमों की आधारशिला माना है।
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लेखक और विश्लेषक: एडवर्ड विल्सन
"सय्याद खुदाई" की हत्या को तेहरान और तेल अवीव के बीच विभिन्न स्तरों पर जारी युद्ध के संदर्भ से अलग नहीं देखा जा सकता है। इस हत्या को चाहे इजराइल ने अंजाम दिया हो या अमरीका ने लेकिन इसमें मे जो एक चीज़ महत्वपूर्ण है वह यह है कि इसके द्वारा मुकाबले और संघर्ष को वह ईरान की सीमाओं के अंदर लाना चाहते हैं ताकि इस प्रकार ईरान और उसके सहयोगियों की दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई शक्ति इजराइल के लिए खतरा न रह जाए।
ऐसा प्रतीत होता है कि इजराइल –साक्ष्य बताते हैं कि इसको अमरीका का भी समर्थन प्राप्त है- ईरान को यह संदेश देना चाहता है कि, परमाणु कार्यक्रम पर किसी भी प्रकार का समझौता दूसरे मुद्दों जैसे सीरिया में ईरान की उपस्थिति पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा।
जिसका अर्थ यह है कि सीरिया में ईरान की रणनीति में किसी भी प्रकार के बड़े परिवर्तन को, समीकरणों को समझने के बाद तेल अवीव की तरफ़ से बिना उत्तर के नहीं छोड़ा जाएगा।
दूसरी तरफ़ ईरान ने इराक़ के अरबील में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के सेंटर पर बमबारी करके यह दिखा दिया है कि तेहरान तेल अवीव के साथ टकराव की प्रक्रिया में एक नए चरण में प्रवेश कर गया है।
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सीरिया में कुद्स बल के "हसन सय्याद खुदाई" की हत्या, एक रणनीति अनुवाद जिसपर इजराइल ने बार -बार जोर दिया है, और यह रणनीति "टकराव को ईरान के अंदर और उसके आसपास पहुँचाना" है। तेल अवीव की यह रणनीति तेहरान की रणनीति के मुकाबले में है जिसने क्षेत्र में शक्ति समीकरणो में बुनियादी परिवर्तन ला दिया है, और तेल अवीव के स्थान और क्षेत्र में उसके शक्तिशाली होने की कहावत को खतरे में डाल दिया है।
इजराइल के प्रधान मंत्री नाफ्टली बेनेट ने कुछ महीने पहले दावा किया था कि "दो क्षेत्रीय महाशक्तियों के बीच दशको से एक शीत युद्ध जारी है" लेकिन यह युद्ध "एकतरफा है और ईरान की तरफ़ से जारी है जो अपने सहयोगियो द्वारा इजराइल को चोट पहुँचाता है"
बेनेट ने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को जिम्मेदार ठहराया था, और उनपर खुलेआम (सीरिया में ईरान को शक्तिशाली होने से रोकने में नाकाम रहने का) आरोप लगाया था। कई दूसरे इजराइली नेताओं ने भी बेनेट के इस बयान का समर्थन किया था।
सय्याद खुदाई की हत्या की शादय सबसे प्रमुख विशेषता उनका ईरान के परमाणु कार्यक्रम से कोई वास्ता न होना है। ईरान ने अपने परमामु कार्यक्रम के सिलसिले में पश्चिमी देशों को यह समझा दिया है कि ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों को अगर किसी भी प्रकार से निशाना बनाया जाता है तो तेहरान यूरेनियम संवर्धन के प्रतिशत और सेंट्फ्यूज़ की संख्या बढ़ाकर उसका उत्ततर देगा। यह वह रणनीति थी जिसने परमाणु वार्ता में ईरान की पोज़ीशन को मज़बूत कर दिया है।
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ईश्वरीय की हत्या, उनकी जिम्मेदारियों को देखते हुए, बताते हैं कि तेल अवीव उन वार्ता में लाने की कोशिश कर रहा है जो तेहरान ने पश्चिम से बात करने की अनुमति नहीं दी है। इस कारण से, तेल अवीव ने एक बार फिर से वार्ता के ढांचे को स्वीकार करने से इनकार करने के लिए हत्या कर दी है, खासकर ईरानी ड्रोन द्वारा मोसाद बेस को लक्षित करने के बाद।
जिस प्रकार की जिम्मेदारी खुदाई के पास थी उसको देखते हुए उनकी हत्या बताती है कि तेल अवीव परमाणु वार्ता में उन विषयों को शामिल करना चाहता है जिसकी अनुमति तेहरान ने पश्चिम को नहीं दी है। इसीलिए तेल अवीव ने एक बार फिर हत्या के विकल्प विशेष कर अरबील में मोसाद बेस को निशाना बनाए जाने के बाद से अपनाया है ताकि वार्ता की स्थिति को स्वीकार न होने को दर्शान के लिए किया है।
इसी प्रकार खुदाई की हत्या ने यह भी सिद्ध किया है कि यह हत्या ईरान में भाड़े के हत्यारों से नहीं कराई गई है बल्कि यह हत्या एमईके के माध्यम से की गई थी, जिसे मोसाद और अमरीका का समर्थन प्राप्त है।
खुदाई की हत्या से ठीक कुछ दिन पहले पूर्व अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पयू का अल्बानिया में "अशरफ़ 3" शिविर का दौरा और मरयम रजवी का ईरानी व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष जारी रखने का बयान भी इसकी सच्चाई को बयान करता है।
जो भी हो, एक खुदाई की हत्या ऐसा विषय नहीं है जिसको तेहरान आसानी से भूल जाए, क्योंकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह हत्या उस समय व्हाइट हाउस की जानकारी में और ऐसे समय में की गई है कि जब परमाणु वार्ता एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गई। हालांकि तेल अवीव ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह हत्या सीरिया में ईरान की उपस्थिति और बढ़ती शक्ति के जवाब में की गई है।
इस हत्या पर इजराइल को इस कार्यवाही पर सही समय में सही जवाब देने पर ज़ोर देते हुए तेहरान की पहली प्रतिक्रिया एक भूमिगत ड्रोन सिटी का प्रदर्शन था, ताकि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने सभी सहयोगियों को यह बता सके कि खुदाई की हत्या का बदला ज़रूर लिया जाएगा, और अगर इस प्रकार की कार्यवाही तेहरान के विरुद्ध फिर की गई तो हर बार जबाव पहले से अधिक कड़ा होगा।