हिंदू धर्म में एक बेहद प्रचलित विधान है मृत्यु के समय मुंह में गंगाजल और तुलसी दल रखने का ऐसा माना जाता है कि गंगाजल कभी भी खराब नहीं होता है और इसलिए गंगाजल को भी मोक्ष देने वाला माना जाता है। इसी प्रकार तुलसी की पत्तियों को भी बहुत पवित्र माना जाता है। आपमें से कई लोगों के मन में कई ये ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर मृत्यु के समय मुंह में गंगाजल और तुलसी दल क्यों रखा जाता है। इस प्रश्न का जवाब जानने के लिए हमने श्रीमान कृष्णगोपाल पंत, पुरोहित एवं पूर्व शिक्षक राजनीति विज्ञान, उत्तराखंड जी से बात की। उन्होंने हमें जो बताया वो आपको भी जान लेना चाहिए।
मृत्यु के समय मुंह में गंगाजल क्यों डाला जाता है
मृत्यु को जीवन का परम सत्य बताया गया है और ऐसी मान्यता है कि जिसने जन्म लिया है वो मृत्य को एक दिन जरूर गए लगाएगा। मृत्योपरांत व्यक्ति का विधि पूर्वक अंतिम संस्कार करने का विधान है जिससे उसके शरीर को मुक्ति मिल सके और वो एक शरीर को त्याग कर दूसरा शरीर धारण कर सके। उसी प्रकार ऐसा माना जाता है कि जब व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति करता है तो उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। जब बात मृत्यु के समय मुंह में गंगाजल डालने की आती है तो ऐसी मान्यता है कि गंगा के जल (कभी खराब क्यों नहीं होता है गंगाजल) की कुछ बूंदें ही मृत्योपरांत व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खोल देंगी। इसी प्रथा को ध्यान में रखकर मृत्यु के समय अथवा मृत शरीर के मुंह में गंगाजल डाला जाता है। मान्यता यह भी है कि मृत्यु के समय व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालने से उसे कई शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और आसान मृत्यु मिल जाती है।
क्या है एक्सपर्ट की राय
मृत्यु के समय मुंह में गंगाजल और तुलसी दल डालने के पीछे के कारणों के लिए ज्योतिष श्रीमान कृष्णगोपाल पंत पुरोहित जी का मानना है कि गंगा को मोक्षदायनी, वेदमाता, आकाशगंगा के नाम से भी जाना जाता है इसलिए मृत्यु शय्या पर पड़े व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालना उसे मोक्ष देने के समान होता है, इससे व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं मृत्यु के समय तुलसी दल इसलिए मुख में रखा जाता है क्योंकि यह बहुत ही पवित्र पौधा है। तुलसी को विष्णु बल्लभ या विष्णु प्रिया भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के नाम से ही यमलोक में जो कष्ट देने वाले राक्षस हैं वो शांत हो जाते हैं और यम मार्ग आसान हो जाता है और मोक्ष मिलता है। इसीलिए मोक्ष के लिए ही गंगाजल और तुलसी का सेवन मृत्यु के समय किया जाता है।
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