लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर स्कूल बस का रंग पीला ही क्यों होता है? इस लेख में हम आपको इसके पीछे का कारण बताएंगे।
रंगो की फ्रीक्वेंसी और वेवलेंथ
आपको बता दें कि साइंस के हिसाब से हर रंग हमारे मस्तिष्क पर भी बहुत असर डालता है। हमारे जीवन में हर रंग का एक अहम् रोल होता है और अपनी अलग वेवलेंथ और फ्रीक्वेंसी होती है।
आपको बता दें कि इसकी वजह से हम सारे रंगों को देख पाते हैं। साइंस के हिसाब से हर रंग का अपना एक आधार होता हैं। जैसे लाल रंग को साइंस के हिसाब से खतरे के लिए दर्शाया जाता है। उसी प्रकार पीले रंग को आकर्षण के रूप में दर्शाया जाता है।
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क्या होता है विबग्योर?
अगर हम साइंस के हिसाब रंगों को समझे तो बता दें कि विबग्योर में रंगों को बांटा जाता है।
विबग्योर को हिंदी में बैनीआहपीनाला कहते हैं। इसमें बै यानी कि बैंगनी, नी मतलब नीला, आ मतलब आसमानी, है मतलब हरा, पी मतलब पीला, ना मतलब नारंगी और ला मतलब लाल होता है।
इन सात रंगों में से लाल रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा होती है इस वजह से यह रंग सबसे ज्यादा दूर से देखा जा सकता है। यही कारण है कि लाल रंग का इस्तेमाल खतरे के संकेत को बताने के लिए किया जाता है। इसलिए ट्रैफिक लाइट में लाल रंग का प्रयोग किया जाता है।
क्यों पीले रंग की होती है बस?
लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ ही सबसे ज्यादा होती है। इसे भी दूर से देखा और पहचाना जा सकता है। इसी वजह से स्कूल बसों को पीले रंग का ही रखा जाता है। ताकि उसे लोग दूर से भी देख सकें। आपको बता दें कि पीले रंग को बारिश, कोहरा या धुंध में भी पहचाना जा सकता है।
साइंस के हिसाब से पीले रंग का लैटरल पेरीफेरल विजन भी बाकी रंगो से ज्यादा होता है। इसलिए लाल रंग से भी जल्दी पीले रंग को देखा जा सकता है।
आपको बता दें कि लैटरल पेरीफेरल विजन का मतलब है जिस रंग को साइड से भी आसानी से देखा जा सकता है यानी अगर कोई व्यक्ति सामने देख रहा है और उसके वाहन के साइड से कोई पीले रंग का वाहन गुजरेगा तो आसानी से इस रंग को देखा जा सकेगा। इससे स्कूल बस की दुर्घटना होने की संभावना कम हो जाती है।