भारतीय महिला क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ 3-0 से हार गई। इसने यह साबित किया कि टीम में अब भी बहुत सुधार की ज़रूरत है।
ऑस्ट्रेलिया ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर खेली गई सिरीज़ के तीसरे मैच में भारत को 190 रन से हराकर सिरीज़ पर 3-0 से कब्जा जमाया। भारत सिरीज़ हारा ही नहीं बल्कि वह दो मैचों में संघर्ष करते ही नज़र नहीं आया।
भारत सिरीज़ के दूसरे मैच में जीत के क़रीब पहुँचकर हारने से वह बराबरी पर आने में असफल हुआ। इसके साथ ही उसका मनोबल भी कमज़ोर हुआ। इसका असर तीसरे वनडे में देखने को मिला। इस मुक़ाबले में टीम कभी भी ऑस्ट्रेलिया से संघर्ष करती नहीं दिखी।
दूसरे वनडे में भारत के टॉप ऑर्डर के नहीं चल पाने पर भी रिचा घोष की जुझारू पारी से भारत जीत की तरफ़ बढ़ रहा था। रिचा घोष जब शतक से सिर्फ़ चार रन दूर थीं, तो वह अपनी धड़कनों पर क़ाबू नहीं रख सकीं। शतक पूरा करने के चक्कर में कैच होकर लौट गईं।
रिचा के आउट होने के समय भारत को जीत के लिए 37 गेंदों में 31 रन बनाने थे। पांच खिलाड़ी आउट होने बाक़ी थे। लेकिन रिचा के आउट होते ही टीम में हड़कंप मच गया।
वे बिना वजह लंबे शॉट खेलने के प्रयास में कैच होकर टीम को जीत से दूर करते चले गए। इस वक्त टीम में ऑलराउंडर के तौर पर शामिल की गईं दीप्ति शर्मा अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने में सफल नहीं हुईं।
दीप्ति रन के लिए गैप ही नहीं खोज पा रहीं थीं, जिसकी वजह से टीम पर दवाब बढ़ता चला गया। इस कारण ही भारत को तीन रन से यह मैच हारना पड़ा। भारत यदि इस मैच को जीत जाता तो सिरीज़ को जीतने के लिए संघर्ष करने की स्थिति में आ सकता था।
हम सभी जानते हैं कि मौजूदा दौर में खिलाड़ियों का शारीरिक रूप से मज़बूत होने के साथ मानसिक रूप से मज़बूत होना भी बेहद ज़रूरी है। भारतीय खिलाड़ियों में मानसिक मज़बूती की समस्या लंबे समय से देखी जा रही है।
भारत इस कमज़ोरी की वजह से ही 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स के फ़ाइनल में और पिछले साल टी-20 विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में हारा था। यह कमज़ोरी इस सिरीज़ के दौरान भी देखने को मिली।
भारतीय टीम के पहले तीन-चार बल्लेबाज़ों के जल्दी निकल जाने पर बाक़ी बल्लेबाज़ों के लिए चुनौतियों का सामना करना मुश्किल हो जाता है।
हड़बड़ाहट में बैटर्स की समझ में ही नहीं आता है कि किस तरह से संकट से निकला जाए. इसलिए खिलाड़ियों के मानसिक पक्ष पर काम करने की बहुत ज़रूरत है।