अपने 15 साल के शानदार करियर में वॉर्न ने 145 टेस्ट मैचों में कुल 708 विकेट चटकाए थे. वॉर्न से ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले खिलाड़ी सिर्फ़ मुथैया मुरलीधरन ही हैं. वहीं वनडे क्रिकेट में उन्होंने 293 विकेट हासिल किए थे.
वॉर्न के नाम पर एशेज़ के इतिहास में सबसे ज़्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड है. उन्होंने 36 टेस्ट में 195 विकेट चटकाए हैं.
साल 2007 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी वो साल 2013 तक फ्रेंचाइज़ी टी20 टूर्नामेंट्स में भाग लेते रहे थे. इसके अलावा वो क्रिकेट कोच, कमेंटेटर और एक्सपर्ट के तौर पर भी दिखते थे.
अब उनके अचानक निधन की ख़बर से दुनियाभर के खेल प्रेमी सकते में हैं. उनके साथ खेल चुके अलग-अलग देशों के क्रिकेटर शोक व्यक्त कर रहे हैं.
पूरी दुनिया से आ रही हैं प्रतिक्रियाएं
भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी रहे वीरेंद्र सहवाग ने शोक जताते हुए लिखा है कि उन्हें भरोसा ही नहीं हो रहा है कि शेन वॉर्न नहीं रहे.
उन्होंने लिखा, ''विश्वास नहीं कर सकता. महान स्पिनर्स में से एक, वो इंसान जिसने स्पिन को कूल बनाया वो सुपरस्टार शेन वॉर्न नहीं रहे. ज़िंदगी बेहद नाज़ुक है लेकिन इसकी गहराई समझना काफ़ी मुश्किल है. उनके परिवार, दोस्तों और फैंस को मेरी संवेदनाएं.''
सचिन तेंदुलकर ने उन्हें याद करते हुए लिखा है वॉर्न की ज़िंदगी में भारत के लिए खास स्थान और सभी भारतीयों के लिए भी वॉर्न ख़ास थे.
विराट कोहली ने वॉर्न को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है जीवन अप्रत्याशित है. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने हैरानी जताते हुए लिखा है हमारे खेल का महान खिलाड़ी और चैंपियन हमें छोड़कर चला गया.
1992 में की थी टेस्ट क्रिकेट करियर की शुरुआत
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में 13 सितंबर 1969 को जन्मे शेन वॉर्न ने अपना अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट करियर साल 1992 में शुरू किया था. पहला मैच उन्होंने भारत के ख़िलाफ़ ही खेला था और बाद में वो दुनिया के सबसे बेहतरीन लेग स्पिनर्स में से एक बनकर उभरे.
'बॉल ऑफ़ दि सेंचुरी'
वॉर्न ने 1993 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट क्रिकेट की अपनी पहली गेंद से माइक गैटिंग को पैरों के बीच से गेंद निकालकर आउट किया था.
वॉर्न की इस गेंद को 'बॉल ऑफ़ दि सेंचुरी' कहा जाता है. वॉर्न ने 2005 की एशेज़ के दौरान भी अपनी 'बॉल ऑफ़ दि सेंचुरी' को लगभग दोहरा ही दिया था.
विवादों में भी रहे वॉर्न
शेन वॉर्न अपने व्यक्तिगत जीवन को लेकर भी सुर्ख़ियों में रहते थे. साथ ही मैच फ़िक्सिंग और ड्रग्स के आरोपों में भी उनका नाम सामने आया था.
1998 में मैच फ़िक्सिंग में वॉर्न का नाम सामने आया तो दक्षिण अफ्रीका में खेले गए 2003 के विश्वकप क्रिकेट से ठीक पहले वॉर्न ने ड्रग्स लेने की बात स्वीकारी जिसके बाद उन्हें अपना नाम वापस लेना पड़ा था.