उनके ऊपर हमले से लेकर उनके निधन की ख़बर आने तक और अभी भी दोस्तों और मुझे जानने वालों के लगातार फ़ोन कॉल्स और मैसेज आ रहे हैं। उन सभी के सवाल एक जैसे हैं।
किसी को ये यक़ीन नहीं हो पा रहा कि जापान में भी ऐसा कुछ हो सकता है। उन सभी के सवाल एक ही जैसे हैं।।। सभी पूछ रहे हैं।।। आख़िर जापान में ऐसा कैसे हो सकता है?
मुझे ख़ुद भी बहुत हद तक ऐसा ही लगा। जापान में रहते हुए आप हिंसक हमलों या अपराध के बारे में नहीं सोचते हैं। या फिर यूं कहना चाहिए कि ऐसा कुछ नहीं सोचने की आदत हो जाती है।
हमला किस पर हुआ है, ये भी अपने आप में चौंकाने वाली बात है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री पर बीच सड़क, दर्जनों लोगों की मौजूदगी में पीछे से गोली चलाई गई।
शिंज़ो आबे अभी जापान के प्रधानमंत्री नहीं थे लेकिन जापान के लोगों के बीच और जापान की पब्लिक लाइफ़ में उनकी ख़ास पकड़ और पहचान थी। इसके अलावा बीते तीन दशक में वह जापान के सबसे लोकप्रिय और चर्चित नेता रहे।
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ऐसा नहीं है कि जापान में होने वाली यह पहली राजनीतिक हत्या है। जापान के एक नेता की पहले भी बर्बर तरीक़े से हत्या हो चुकी है। वो साल 1960 का दौर था।
साल 1960 में जापान के सोशलिस्ट पार्टी के नेता इनेजिरो असानुमा की एक कट्टर दक्षिणपंथी ने तलवार घोंपकर उनकी हत्या कर दी थी। यह शख़्स समुराई तलवार चलाता था। हालांकि राइट-विंग चरमपंथी अभी भी जापान में मौजूद हैं, आबे खुद भी राइट-विंग नेशनलिस्ट थे।
हालांकि आबे की हत्या को लेकर अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ये हत्या फ़र्स्ट कैटेगरी की है या फिर सेकंड कैटेगरी की। लेकिन ऐसा लगता है कि इस राजनीतिक हत्या के बाद से जापान बदल जाएगा।
जापान इतना सुरक्षित है कि यहां सुरक्षा काफी रीलैक्स्ड है। चुनावी अभियानों के दौरान नेता खुले में जाकर, सड़कों पर चुनाव प्रचार करते हैं, भाषण देते हैं, लोगों से हाथ मिलाते हैं।
ऐसे में यह समझना भी आसान हो जाता है कि आबे का हमलावर कैसे उनके इतने क़रीब आ गया और हथियार निकालकर उसने ठीक पीछे खड़े होकर हमला भी कर दिया।
इस हमले के बाद से यह निश्चित तौर पर तय माना जा रहा है कि आज के बाद यह बदल जाएगा।
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