तेल अवीव और हैफ़ा कैसे मिनटों में मिट्टी में मिल जाएंगेः ईरानी ड्रोन पर अमेरिकी रिपोर्ट
ईरानी ड्रोन की शक्ति को स्वीकार करते हुए, एक अमेरिकी समाचार पत्र ने ईरान द्वारा तेल अवीव और हैफ़ा पर हमला करने के लिए लंबी दूरी के आत्मघाती ड्रोन का उपयोग करने के ईरान के हालिया खतरे पर रिपोर्ट जारी की है।
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हाल के समय में ईरान शीर्ष ड्रोन शक्ति बनकर उभरा है। कुछ दिन पहले ईरान ने एक नए ड्रोन आरश-2 का अनावरण किया जिसने पूरी दुनिया की मीडिया का ध्यान आकर्शित किया है।
मीडिया का ध्यान आकर्शित होने का कारण केवल यह नहीं है कि इस ड्रोन के अनावरण के साथ ही ईरान दुनिया में सबसे लंबी दूरी के ड्रोन का निर्माण करने वाला देश बन गया है, बल्कि मीडिया के आकर्शित होने का मुख्य कारण इस ड्रोन के लिए ईरान ने जो लक्ष्य निर्धारित किया है वह है। ईरान द्वारा इस ड्रोन का लक्ष्य इजरायल की राजधानी तेल अवीव और भूमध्य सागर के तट पर स्थिति बंदरगाह हैफ़ा है। इन दोनों की दूरी ईरान से 1000 किलोमीटर से कम है
अमेरिकी समाचार-विश्लेषणात्मक वेबसाइट "1945" ने "ईरान कहता है कि उसके पास ऐसे ड्रोन हैं जिससे वह इजरायल को निशाना बना सकता है: क्या यह सच हो सकता है?" शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें ईरान की ड्रोन शक्ति के बारे में लिखा है। वेबसाइट लिखती हैः ईरान की ड्रोन क्षमताएं पहले ही साबित हो चुकी हैं, इसलिए ईरान के पास एक ऐसा ड्रोन होना जो ईरानी धरती से इजरायल के सबसे दूर के हिस्सों को निशाना बना सके, बहुत दूर की कौड़ी नहीं है।
इस रिपोर्ट में, हम पढ़ते हैं: ईरानी सेना के जमीनी बलों के कमांडर ने स्वीकार किया कि तेहरान ने एक लंबी दूरी का आत्मघाती ड्रोन बनाया है जो इजरायल के भूमध्यसागरीय तट और ईरानी क्षेत्र से इजरायल के सबसे दूर के बिंदु पर हमला कर सकता है।
ब्रिगेडियर जनरल "क्योमार्थ हैदरी" ने घोषणा की कि "अरश-2", अराश -1 पीढ़ी का नवीनतम प्रकार का यूएवी है जिसे विशेष रूप से इज़राइल में हाइफ़ा क्षेत्र को लक्षित करने के लिए बनाया गया है।
हैदरी ने इस बात पर जोर देते हुए कि "हम इस ड्रोन का उपयोग करने के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं", कहा: ईरान भविष्य के अभ्यासों में अपनी क्षमताओं का खुलासा करेगा।
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यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं। ये छोटे हथियार अपेक्षाकृत सस्ते और उपयोग में आसान होते हैं। जैसा कि हिब्रू भाषा के अखबार "जेरूसलम पोस्ट" भी इस बिंदु की ओर इशारा करते हुए लिखता है: चूंकि ड्रोन रडार-इवेसिव हैं और उनके हमले के स्थान का पता लगाना संभव नहीं है, इस कारण पार्टी या उनका उपयोग करने वाले दलों की पहचान करना संभव नहीं है। ड्रोन की यही विशेषता अब ईरान की क्षेत्रीय सामरिक रणनीति का केंद्र बिंदु बन गई है।
2020 में अमेरिका के नेतृत्व वाले ऑपरेशन में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद से, तेहरान ने इस क्षेत्र में समर्थन करने वाले समूहों के माध्यम से अपने ड्रोन संचालन में काफी वृद्धि की है, और इससे इन दो सालों में ड्रोनों की शक्ति में वृद्धि हुई है।
इस संबंध में, हिब्रू समाचार साइट "ज्वीश न्यूज़ सिंडिकेट" ने एक लेख में स्वीकार किया कि ईरानी ड्रोन का उपयोग आवश्यक रूप से ईरानियों द्वारा नहीं बल्कि तेहरान के क्षेत्रीय सहयोगियों द्वारा "आईएसआईएस के ठिकानों पर हमले, अपने क्षेत्र को वापस लेने में सीरियाई सेना के समर्थन करने, सऊदी अरब के बुनिया ढांचे और तेल लक्ष्यों पर हमला करने के लिए बहुत उपयोग किया गया है।
हाल के वर्षों में, इराक और सीरिया में ईरान समर्थित समूहों ने क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए विस्फोटक ले जाने वाले ड्रोन का उपयोग करना शुरू कर दिया है। पिछले अक्टूबर में क्षेत्र में विस्फोटकों से लैस कम से कम पांच ड्रोन हमलों में सीरिया की सीमा पर स्थित अलतनफ़ अमेरिकी बेस पर हमले किए हैं।
"आरश" यूएवी सीरिज़
ईरान का नया ड्रोन, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह हैफ़ा को निशाना बनाने में सक्षम है, आरश -1 ड्रोन का उन्नत संस्करण है, जिसे "दुनिया का सबसे लंबी दूरी तक सटीक रूप से मार करने वाला आत्मघाती ड्रोन कहा जाता है।
आरश-1" के बारे में कहा गया था कि इस यूएवी को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान आर्मी द्वारा आधुनिक बनाया गया है और इसकी निरंतर उड़ान सीमा 2000 किमी तक बढ़ गई है। राडार से बचने में सक्षम आत्मघाती ड्रोनों की उड़ान क्षमता 2,000 किलोमीटर तक पहुँचने के साथ ही ईरान सबसे लंबी दूरी तक उड़ान भर सकने वाले आत्मघाती ड्रोन बनने के मामले में दुनिया का पहला देश बन गया है।
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आरश-2 आरश-1 से बेहतर है, और इसे तेहरान की ओर से अतिशयोक्ति नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि तेहरान ने कई बार व्यवहार में अपनी क्षमताओं को साबित किया है।
कुछ समय पहले यूक्रेन की एक न्यूज एजेंसी ने कहा था कि ईरान ने इजरायल की एंटी टैंक मिसाइल स्पाइक को कॉपी कर ड्रोन पर लगाया है। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने "मोहजर -6" ड्रोन पर स्पाइक लगाई है। यह वही ड्रोन है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि तेहरान ने उसको मास्को को बेचा है, जिसे रूस यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध में प्रयोग कर रहा है।
कुछ समय पहले अमेरिकी अधिकारियों ने खुलासा किया था यूक्रेन के विरुद्ध रूस की मदद करने के लिए ईरान सैकड़ों ड्रोन के क्रेमलिन को देने वाला है। व्हाइट हाउस के अधिकारियों के मुताबिक अगस्त में रूसी सेना ने ईरान में ड्रोन से काम करने के लिए ट्रेनिंग कोर्स शुरू किया था. न्यूयॉर्क टाइम्स ने अगस्त के अंत में बताया कि ईरान का मोहजर -6 ड्रोन मास्को को दिए गए हथियारों में से एक था। यह निगरानी-आक्रामक ड्रोन चार निर्देशित मिसाइलों को दागने की क्षमता रखता है।
आरश-2 के अनावरण की टाइमिंग
यह देखते हुए कि ईरान स्पष्ट रूप से रूस को अपने सबसे उन्नत ड्रोन बेचने की कोशिश कर रहा है, वर्तमान चरण में अरश -2 के अनावरण की व्याख्या इस संदर्भ में की जा सकती है।
तुर्की का प्रमुख TB2 ड्रोन एर्दोगन के लिए एक लाभदायक निर्यात और यूक्रेन के ड्रोन शस्त्रागार का मुख्य आधार बन गया है। तेहरान भी शायद इस युद्ध का इस्तेमाल विदेशी ग्राहकों को अपने नए ड्रोन खरीदने के लिए आकर्षित करने के लिए करना चाहता है। इसी के साथ ही शायद इस समय आरश-2 के अनावरण का एक मकसद अमेरिका और इजरायल सहित किसी भी अमेरिकी सहयोगी के विरुद्ध शक्तिप्रदर्शन करके अमेरिका को वार्ता की मेज़ पर लाने के लिए प्रेशर लीवर के रूप में करना चाहता है। क्योंकि हाल ही में खबर आई थी की ईरान पर अमेरिकी के बीच परमाणु वार्ता को पुनर्जीवित करने की संभावनाओं को झटका लगा है।