जाने कार्बन डाई ऑक्साइड का प्रयोग
प्लास्टिक हमारे वातावरण के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है - क़रीब 7।25 ट्रिलियन टन प्लास्टिक ज़मीन और समुद्र में मौजूद हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है - हमें प्लास्टिक की ज़रूरत है और ये बीसवीं सदी में हमारी ज़िदगी में सबसे बड़े बदलाव में से एक लेकर आया है।
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प्लास्टिक के बिना रिकॉर्डेड म्यूज़िक और सिनेमा मुमकिन नहीं है। आधुनिक दवाइयां पूरी तरह से प्लास्टिक पर निर्भर हैं। ब्लड बैंक, सिरिंज ट्यूब में इनका इस्तेमाल होता है। गाड़ियों से लेकर हवाई जहाज में इनका इस्तेमाल होता है, इन्हीं की मदद से हम दुनिया की यात्रा कर पाते हैं। इसके साथ ही कंप्यूटर, फ़ोन और दूसरी इंटरनेट से जुड़ी टेक्नॉलॉजी के लिए प्लास्टिक का भरपूर इस्तेमाल होता है। आप इस स्टोरी को शायद प्लास्टिक की वजह से ही पढ़ पा रहे हैं।
अभी प्लास्टिक बनाने के लिए ईंधन का इस्तेमाल होता है, इनके जलने से वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड रिलीज़ होता है, जो कि एक ग्रीन हाउस गैस है और ये क्लाइमेट चेंज में योगदान देता है। लेकिन क्या हम प्लास्टिक के गद्दे, फ़ोम इन्सूलेशन, प्लास्टिक के कप-प्लेट या डिब्बें, इन्हें बिना काबर्न उत्सर्जन के बना सकते हैं।
नई टेक्नॉलॉजी से कार्बन डाई ऑक्साइड को प्लास्टिक में बदलना मुमकिन है, इससे कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सकता है। लेकिन कैसे, इसके पीछे के विज्ञान पर एक नज़र डालते हैं।
प्लास्टिक सिंथेटिक पॉलिमर होते हैं - लंबे मॉलिक्यूल के बार बार रिपीट होते चेन एक दूसरे से जुड़े होते हैं। ब्रिटेन के सेंटर फ़ॉर कार्बन डाइ ऑक्साइड यूटिलाइज़ेशन के रिसर्चर्स ने नायलॉन बनाने के तरीके का पता लगा लिया है। ये एक तरह का पॉलिपर है जिसे पॉलिक्राइलामाइ कहते हैं, और ये कार्बन डाइ ऑक्साइड से बनते हैं।
सेंटर फ़ॉर कार्बन डाइ ऑक्साइड यूटिलाइज़ेशन के डॉयरेक्टर कहते हैं, "कार्बन डाइ ऑक्साइड से नायलॉन बनाना, सुनने में ये अजीब लगता है, लेकिन हमने ये कर लिया है।"
वो कहते हैं, "ईंधन को रॉ मटेरियल की तरह इस्तेमाल करने के बजाय, आप कार्बन डाई ऑक्साइड में कुछ केमिकल डाल कर इनका उपयोग कर सकते हैं। ये पूरे पेट्रोकेमिकल सेक्सर में बड़ा बदलाव लाएगा।"
ज़्यादातर कार्बन डाई ऑक्साइड सिर्फ उत्सर्जन से नहीं आता, ये कई केमिकल प्रोसेस का बाइ प्रोडक्ट भी है। लेकिन शोधकर्ताओं की कोशिश है कि फ़ैक्ट्रियों से निकलने वाले कार्बन डाइ ऑक्साइड को कैप्चर किया जाए।
गैस पर सोना
कार्बन डाई ऑक्साइड से प्लास्टिक बनाने के लिए वैज्ञानिकों को कई कैटेलिस्ट का इस्तेमाल करना पड़ता है, इनसे केमिकल रिएक्शन में तेज़ी आती है। जर्मनी के कोवेस्ट्रो पेट्रोकेमिकल ग्रुप ने एक गद्दा बनाया है जिसनें 20 प्रतिशत कार्बन है।
उन्होंने एक कैटेलिस्ट बनाया है जो कार्बन डाई ऑक्साइड और दूसरे कंपाउंड के बीच रिएक्शन करवाता है और पॉलीयूरेथेन नाम की फ़ैमिली बनाता है - इसी मटेरियल से गद्दे बनते हैं, इन्हीं से फ़्रिज का इन्सुलेशन भी बनता है।
दुनियाभर में 15 मिलियन टन से ज़्यादा पॉलियूरेथेन का इस्तेमाल होता है। इसलिए कार्बन डाइ ऑक्साइड के इस्तेमाल से रॉ मटेरियल बनाना काफ़ी फ़ायदेमंद हो सकता है, इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकती है।
साफ़ हवा
पूरी दुनिया में वैज्ञानिक कार्बन डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल कर अलग अलग तरह के प्लास्टिक बना रहे हैं। ब्रिटेन की पॉलियूकेथेन बनानी वाली कंपनी इकोनिक को उम्मीद है कि अगल दो सालों में वो फ़ोन के प्रोडक्ट बाज़ार में उतार देंगे। इसके अलावा कोटिंग और इलास्टोमर बना सकते हैं। इसास्टोमोर रबर जैसे पदार्थ होता है।
कंपनी के सेल्स डेट लीड टेलर का कहना है ये नए मटेरियल क्वालिटी में प्लास्टिक जैसे ही हैं। वो कहते हैं, "हमने पाया है कि हमारे मटेरियल कई मायनों में बेहतर भी हैं, जैसे इनमें आग नहीं लगती, स्क्रैच नहीं आता।
इकॉनिट का अनुमान है कि अगर कुल पॉलिओल (क्रॉस लिंकिंग में इस्तेमाल होने वाले मॉलिक्यूल) का 30 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड से बनाए जाएं, तो 90 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन बचाया जा सकता है।
कार्बन डाई ऑक्साइड की कीमत प्रोपलाइन ऑक्साइट से आधी भी है।