विदेशी कंपनी द्वारा की गई सफल लॉबिंग का मतलब है कि राज्य में दो शिफ्ट में उत्पादन हो सकता है, जैसा कि कंपनी चीन में अपनी मुख्य विनिर्माण इकाई में करती है।
कर्नाटक राज्य विधानसभा ने बीते 1 मार्च को एक श्रम क़ानून पारित किया, जो 12 घंटे की शिफ्ट में उत्पादन और महिलाओं को भी रात में काम करने की अनुमति देता है।
अन्य परिवर्तनों के बीच इसने तीन दिन की छुट्टी लेने से पहले लगातार चार दिनों तक एक कर्मचारी के वैध काम के घंटों को नौ से बढ़ाकर 12 कर दिया है। स्वीकार्य ओवरटाइम घंटे तीन महीने की अवधि में 75 से बढ़ाकर 145 कर दिए गए हैं, लेकिन अधिकतम काम के घंटों की सीमा 48 घंटे प्रति सप्ताह तय की गई है।
इसके अलावा कानून महिलाओं को शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच काम करने की अनुमति देता है, बशर्ते नियोक्ताओं को कुछ सुरक्षा उपायों को लागू करना होगा, जैसे कि सीसीटीवी और जीपीएस से लैस परिवहन सुविधाएं।
कोलार के विस्ट्रॉन इकाई में पिछले श्रमिक उपद्रव से पता चलता है कि श्रम कानूनों के नियमों का उल्लंघन कर्मचारियों को रोजगार हड़ताल करने के लिए प्रेरित करता है। एक सरकारी जांच रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों को उनके काम के घंटों के अनुसार भुगतान नहीं किया गया था।
अखबार के मुताबिक, फॉक्सकॉन और ऐप्पल सहित भारतीय उद्योग लॉबी समूहों और विदेशी कंपनियों के ‘बहुत सारे इनपुट’ के बाद कर्नाटक ने अपने श्रम क़ानून में संशोधन किया था। इन परिवर्तनों को करने से पहले किसी भी श्रमिक समूह या ट्रेड यूनियन से परामर्श किया गया था या नहीं, इसका कोई उल्लेख नहीं है।