एपल द्वारा लॉन्च विज़न प्रो, यूज़र देख सकते हैं वर्चुअल दुनिया में फ़िल्में
एपल ने लॉन्च किया विज़न प्रो जिसके बारे में एपल के सीईओ टिम कुक ने कहा है कि ‘ये नया हेडसेट वर्चुअल वर्ल्ड और वास्तविक दुनिया को बहुत सरलता से मिला देता है।
Table of Contents (Show / Hide)

एपल ने अपना बहुप्रतीक्षित ऑगमेंटेड रिएलिटी हेडसेट विज़न प्रो लॉन्च कर कर दिया है। यह पिछले एक दशक में एपल का कोई हार्डवेयर लॉन्च भी है। टेक्नॉलजी के क्षेत्र की शीर्ष कंपनी एपल ने आईफ़ोन के लिए नया ऑपरेटिंग सिस्टम और मैकबुक एयर लैपटॉप के लिए अपडेट भी पेश किया है।
ये हेडसेट एक बार चार्ज होने पर दो घंटे चल सकेगा। इसकी क़ीमत 3499 डॉलर यानी लगभग दो लाख 80 हज़ार रुपये रखी गई है। इसे अगले साल की शुरुआत में अमेरिका के बाज़ार में उतार दिया जाएगा।
एपल के इस हेडसेट की क़ीमत बाज़ार में पहले से मौजूद ऐसे हेडसेट से कई गुणा ज़्यादा है। पिछले सप्ताह ही मेटा ने अपना हेडसेड क्वेस्ट लॉन्च किया है। जिसकी क़ीमत 449 डॉलर रखी गई है।
एपल ने जेनरेटिव आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं दी। ये नई तकनीक इस समय सिलिकॉन वैली में चर्चा का केंद्र है। कैलिफ़ोर्निया के कूपाटीनो स्थित कंपनी के मुख्यालय एपल पार्क में इस घोषणा के समय कंपनी के शेयरों में मामूली गिरावट आई। एपल के विज़न प्रो बाज़ार में मौजूद ऐसे ही अन्य हेडसेट से कुछ अलग हैं देखने में वर्चुअल रियलटी हेडसेट के मुक़ाबले स्कीइंग के गॉगल्स अधिक लगते हैं।
एपल ने इस नए डिवाइस का विवरण देते हुए ‘ऑगमेंटेड रियलटी’ टर्म का इस्तेमाल किया है।
ऑगमेंटेड रिएलिटी यानी संवर्धित वास्तविकता एक ऐसी तकनीक है, जिसमें हमारे आसपास की दुनिया में वर्चुअल चीज़े रख दी जाती हैं. ऐसे में एक स्क्रीन के ज़रिए देखने पर मिलीजुली वास्तविकता दिखाई देती है जिसमें वास्तविक चीज़ों के अलावा वर्चुअल चीज़े भी होती हैं।
यूज़र एक वर्चुअल दुनिया में फ़िल्में देख सकते हैं, ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं या दस्तावेज़ लिख सकते हैं। लेकिन अभी तक इस तरह की तकनीक के लिए किसी बड़े बाज़ार की उपलब्धता के सबूत नहीं हैं।
मैकरूमर्ज़ के सीनियर एडिटर हार्टले शार्ल्टन इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि ये नया हेडसेट जनता को अपनी और कितना खींच पाएगा।
वह कहते हैं, “ये आम उपभोक्ताओं को बहुत आकर्षित नहीं करेगा क्योंकि इसके दाम बहुत अधिक हैं और ये फ़र्स्ट जेनरेशन डिवाइस है, जिसकी अपनी कमियां भी होंगी, जैसे की इसका बैटरी पैक अलग से तार से जुड़ा है। वो यह भी कहते हैं कि एपल ने हमेशा ही अपने डिवाइस को लेकर ‘आशंकाओं को ग़लत साबित किया है’ और इस कंपनी का ये इतिहास है कि ये लोगों को अपने उपकरणों की तरफ़ खींच ही लेती है और लोग इसके डिवाइस के दिखावे के लिए अपना पैसा ख़र्च कर ही देते हैं। टिम कुक ने इस डिवाइस के बारे में बताया कि ये हेडसेट लोगों को डिज़िटल कॉन्टेंट को इस तरह देखने, सुनने और इंटरएक्ट करने का मौक़ा देता है, जैसे वो उनकी वास्तविक दुनिया का हिस्सा हो।
इस डिवाइस को हाथों, आंखों और आवाज़ से नियंत्रित किया जाता है।
मिसाल के तौर पर उंगलियों को छूने या हिलने से कॉन्टेंट को स्क्रॉल किया जा सकता है।
मेटा और लेनेवो के अपने पहले से मौजूद वर्चुअल रिएलिटी हेडसेट के नए रूप पेश करने के सप्ताह भर बाद ही एपल ने ये घोषणा की है। मेटा और लेनेवो को हेडसेट वास्तविक दुनिया के दृश्य में किसी वर्चुअल ऑब्जेक्ट का मिश्रण नहीं करते हैं।
मेटा ने भी मिश्रित वास्तविकता के क्षेत्र में वास्तविक निवेश किया है लेकिन इस समय ये सेक्टर संघर्ष कर रहा है। इंटरनेशनल डेटा कॉर्पोरेशन के मुताबिक़ हेडसेट के बाज़ार में पिछले साल 54 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
एपल ने इससे पहले प्रमुख हार्डवेयर डिवाइस एपल वॉच साल 2015 में लॉन्च की थी। शोधकर्ता थॉमस ह्यूसन कहते हैं कि इस नए डिवाइस को बाज़ार में अपनी जगह बनाने में कुछ समय लग सकता है।
वो कहते हैं, “एआर/वीआर स्पेस को पिछले कुछ सालों में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, ख़ासकर मेटावर्स और उस तरह के अनुभवों में यही वजह है कि मुझे लगता है कि इस डिवाइस को अपनी जगह बनाने में अभी और वक़्त लगेगा।
वो कहते हैं, “अगर मैं 10-15 साल पहले ये कहता है कि लोग लगभग 2000 डॉलर मोबाइल पर ख़र्च करने को तैयार हैं तो मुझे लगता है कि बहुत से लोग यही कहते कि वो फ़ोन पर इतना पैसा ख़र्च नहीं करेंगे।