पुतिन के सिक्युरिटी घेरे को भेदना क्यों है मुश्किल
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ज़िंदगी में कुछ भी तत्काल नहीं होता. रूसी राष्ट्रपति के हर कदम पर सैकड़ों बॉडीगार्ड बारीकी से नजर रखते हैं, जो 24 घंटे उनके साथ रहते हैं.
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उनका खाना चुपके से तैयार किया जाता है और वह जो कुछ भी पीते हैं उसे पहले उनके निकटतम सलाहकार जांचते हैं. केजीबी के पूर्व अधिकारी पुतिन के आस-पास मौजूद ख़तरों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, खासकर युद्ध के समय में.
पुतिन रूस के यूक्रेन पर आक्रमण का नेतृत्व कर रहे हैं और इसके कारण उनके लिए कुछ अतिरिक्त सुरक्षा जोखिम पैदा हो गए हैं. लेकिन कौन है जो पुतिन की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है? उन्हें सुरक्षित रखने के लिए उपाय क्या-क्या हैं?
इन्हीं सारे सवालों के जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं.
ज़बरदस्त सिक्योरिटी टीम
वर्तमान में रूस में संचालित कई सुरक्षा सेवाओं में एक विशेष रूप से राष्ट्रपति और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए समर्पित है. इसे0 'रूसी राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा' के नाम से जाना जाता है.
यह रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसओ) को रिपोर्ट करती है, जिसका गठन केजीबी से हुआ था. केजीबी खुद उच्च रूसी अधिकारियों को सुरक्षा देने का काम करता है.
काले सूट पहने कानों में इयरफ़ोन लगाए ये गार्ड परछाईं की तरह दिन-रात पुतिन के साथ रहते हैं.
रूस का सरकारी स्वामित्व वाला मीडिया रशिया बेयॉन्ड के अनुसार, जब ये एजेंट विदेश में गतिविधियों के दौरान पुतिन के साथ जाते हैं, तो वे खुद को चार मंडलियों में बांट लेते हैं .
उनका सबसे करीबी घेरा उनके अपने निजी गार्ड्स का होता है.
दूसरा घेरा उन गार्ड्स से बनाया जाता है जिन पर जनता का ध्यान नहीं जाता. तीसरा घेरा, भीड़ की परिधि को घेरता है और इसमें संदिग्ध लोगों को आने से रोकता है. और चौथा और सबसे आखिरी घेरा, आसपास की इमारतों की छतों पर स्थित स्नाइपरों का होता है. मार्क गेलितो रूसी सुरक्षा के विशेषज्ञ और इस देश में सुरक्षा मुद्दों का विश्लेषण करने वाली कंस्लटिंग फ़र्म, मायाक इंटेलिजेंस के निदेशक हैं. उन्होंने कहा, "पुतिन को हेलीकॉप्टर पसंद नहीं है, वह आमतौर पर मोटरसाइकिल सवारों,कई बड़ी काली कारों, आदि के साथ एक बड़े काफिले में यात्रा करते हैं. इसके लिए कई बार हवाई क्षेत्र में कोई भी ड्रोन उड़ाने पर पाबंदियां लगा दी जाती है. यातायात रोक दिया जाता है."
रूस की राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा "रूसी नेशनल गार्ड", या रोसग्वर्दिया समर्थित है. इसे सिर्फ छह साल पहले पुतिन ने ख़ुद बनाया था और कुछ लोग इसे राष्ट्रपति की "व्यक्तिगत सेना" बताते हैं.
यह रूसी सशस्त्र बलों से अलग है, हालांकि इसका आधिकारिक मिशन रूसी सीमाओं को सुरक्षित रखना, आतंकवाद से लड़ना और सार्वजनिक कानून व्यवस्था की रक्षा करना है.
व्यावहारिक रूप से इसका सबसे महत्वपूर्ण काम ख़तरों से पुतिन की रक्षा करना है.
ब्रिटेन के बाथ यूनिवर्सिटी में रूस अकादमिक विशेषज्ञ स्टीफन हॉल ने बीबीसी मुंडो को बताया, "हर कोई जानता है कि रूसी नेशनल गार्ड क़ाफी हद तक पुतिन के निजी गार्ड हैं. "
"और राष्ट्रपति उनके बाकी सुरक्षा सेवाओं के घेरे में बहुत सुरक्षित हैं.''
वर्तमान में नेशनल गार्ड का नेतृत्व पुतिन के पूर्व बॉडीगार्ड विक्टर ज़ोलोतोव कर रहे हैं. वह राष्ट्रपति के वफ़ादार सहयोगी माने जाते हैं.
हाल के वर्षों में इस सुरक्षा बल में सैनिकों की संख्या में लगभग चार लाख की बढ़ोतरी की गई है.
हॉल कहते हैं, "यह एक बड़ी संख्या है, अमेरिका के राष्ट्रपति की सुरक्षा ईकाई में गार्ड्स की संख्या इन आंकड़ों के आस-पास भी नहीं है."
आखिर ये पुतिन की सुरक्षा किस तरह करते हैं?
हालांकि यह जानना मुश्किल है कि पुतिन की रक्षा के लिए किस-किस उपाय को किस हद तक इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्रेमलिन और रूसी सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस मामले पर कुछ प्रकाश डाला है. जिस बारे में पुतिन का सुरक्षा घेरा सबसे ज़्यादा सख़्त है वह है उनका खाना. मार्क गेलोति के अनुसार, जहर के डर से, पुतिन के पास एक व्यक्तिगत टेस्टर है, जो राष्ट्रपति के पास आने वाली खाने की हर चीज़ की जांच करता है. "यह एक ऐसी स्टाइल का हिस्सा है, जो एक आधुनिक राष्ट्रपति की तुलना में मध्ययुगीन सम्राट के जैसा है."
साथ ही, जब वह रूस से बाहर यात्रा करते हैं तो राष्ट्रपति की टीम उनके इस्तेमाल करने वाली हर चीज़ की जांच करती है.
गेलोति बताते हैं, "वे सभी खाने-पीने की चीजें लेते हैं, जो पुतिन खाने वाले होते हैं. उदाहरण के लिए,यदि कोई आधिकारिक शैंपेन टोस्ट है तो पुतिन उस बोतल से शैंपेन लेते हैं जो उनकी टीम उनके लिए लाती है. बाकी बोतलों से नहीं."
स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं
एक अन्य उपाय जो जिसे पुतिन की सुरक्षा के लिए अहम माना जाता है, वह है क्रेमलिन के अंदर स्मार्टफोन को ब्लॉक करना. रूसी राष्ट्रपति ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि वह इन उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
2020 में, रूसी समाचार एजेंसी तास के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया. यह भी बताया कि यदि वह किसी के साथ संपर्क करना चाहते हैं तो ऐसा करने के लिए एक आधिकारिक लाइन होती है.
उनके सलाहकारों ने भी ये माना है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने बार-बार कहा है कि पुतिन मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि उनके पास " समय नहीं होता है." लेकिन सच्चाई यह है कि पुतिन ऐसा इसलिए नहीं करते क्योंकि उन्हें इंटरनेट पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है.
अतीत में, उन्होंने इशारों में कहा था कि इंटरनेट एक "सीआईए यानी - अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी परियोजना" है और रूसियों से अपील की थी कि गूगल सर्च का इस्तेमाल ना करें. उनका मानना है कि अमेरिकी सभी सूचनाओं की निगरानी करते हैं.
गेलोति कहते हैं, '' पुतिन शायद ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, यह बात तो सभी जानते हैं कि उन्हें फोन पसंद नहीं हैं. और ये ठीक है. वह सुरक्षा के लिहाज से ईमानदार हैं. पुतिन बिल्कुल सही हैं. स्मार्टफोन बहुत सुरक्षित नहीं हैं.''
जानकार बताते हैं कि पुतिन को कागजी फाइलों के माध्यम से सूचित किया जाता है जो उनके सलाहकार उन्हें देते हैं.
हॉल कहते हैं, "पुतिन अपने दिन की शुरुआत तीन सुरक्षा ब्रीफिंग के साथ करते हैं. एक जो पूरी दुनिया से संबंधित है. एक उसके बारे में जो रूस में चल रहा है और तीसरा वह जो अभिजात वर्ग में चल रहा है." "उनके लिए, यह सबसे महत्वपूर्ण जानकारी है और ये उनके दिन के एजेंडे को तय करती है"
वह बताते हैं, "मुझे याद है कि मैंने राजनयिकों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बात की थी. उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर उनके पास ऐसी जानकारी है जो उनकी खुफ़िया सेवाओं को सही नहीं लगती तो पुतिन यह मान लेते हैं कि उनके जासूस सही हैं और राजनयिक गलत हैं. "
कोविड और आइसोलेशन
इस वक्त पुतिन तक लोगों की पहुंच बिल्कुल सीमित कर दी गई है.
जो चंद नेता उनसे मिलते हैं वो भी उनसे कुछ मीटर दूरी पर खड़े होते हैं. आपको फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों से उनकी मुलाकात याद होगी. दोनों एक बड़ी सी मेज के दो सिरों पर बैठे थे.
इस तरह की दूरियों बननाने की वजह कुछ हद तक कोरोना संक्रमण है. इसने आइसोलेशन को और बढ़ा दिया है. इस दौरान जो फैसले लागू किए गए हैं उनमें पुतिन की सुरक्षा व्यवस्था को देखने वाले वालों के लिए दो सप्ताह का अनिवार्य क्वारंटीन जरूरी है. उन्हें कड़े मेडिकल नियमों का पालन करना होता है. उनके इर्द-गिर्द रहने वालों को निश्चित अंतराल पर कोरोना टेस्ट भी कराना होता है. उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की मनाही है.
15 मार्च को रूसी सरकार के प्रेस सेक्रेट्री दमित्री पेस्कोव ने इस बात की पुष्टि की कि जब तक एक्सपर्ट ठीक समझेंगे पुतिन की मौजूदा सिक्योरिटी के लिए कोरोना से जुड़े उठाए गए कदम जारी रहेंगे. तो इस तरह से रूस में आपके निजी स्वास्थ्य को राष्ट्र सुरक्षा से जुड़े मामले की तरह देखा जाता है.
सीआईए, एफबीआई, एनएसए में काम कर चुके और बराक ओबामा के शीर्ष सलाहकारों में शुमार जनरल जेम्स क्लैपर ने बीबीसी रेडियो-4 के टुडे प्रोग्राम में कहा कि पुतिन आइसोलेशन में हैं.
उन्होंने कहा, ''कोविड की वजह से पिछले दो साल से पुतिन आइसोलेशन में ही हैं. उनके इर्द-गिर्द के बहुत कम लोग हैं, जिनकी पहुंच उन तक है. इसलिए इस बारे में खुफिया जानकारी जुटाना भी काफी मुश्किल है. ऐसी जानकारी जिन पर आप भरोसा कर सकें. ''
गेलोति का भी ऐसा ही मानना है. उनका कहना है, '' पुतिन बेहद अलग-थलग रहते हैं. उनकी नजदीकी लोगों का घेरा काफी सिकुड़ गया है''
'' देश में उनका दौरा भी काफी कम हो गया है. और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी वो मुश्किल से नजर आते हैं. सुरक्षा गार्ड ही वे लोग हैं, जिनके साथ पुतिन के निजी संबंध हैं.
गेलोति के मुताबिक कैसे सुरक्षा गार्ड में शामिल लोगों को बाद में बडे़ ओहदों पर बिठाया गया ( इस संबंध में नेशनल गार्ड में विक्टर जोलोतोव का उदाहरण दिया गया) .
कुछ इंटेलिजेंस विशेषज्ञों के मुताबिक पुतिन के इर्द-गिर्द जो कड़ा सुरक्षा घेरा बनाया गया है वह इसे लेकर एक तरह का रूसी 'सनक' ही है.
कुछ लोगों का कहना है कि केजीबी में रह चुके राष्ट्रपति को दूसरों की तुलना में यह अच्छी तरह मालूम होगा कि उनके लिए अपनी सुरक्षा कितनी अहमियत है.
ऐसा सोचना सही हो सकता है लेकिन पुतिन के इर्द-गिर्द जो सुरक्षा घेरा है वो ये बताता है कि उनकी सुरक्षा और अलगाव लगातार बढ़ रहा है. गेलोति का कहना है रूस में चीजें वैसी ही होती हैं जैसा पुतिन चाहते हैं.