औरतों के वर्जिनिटी टेस्ट से संबंधित वैज्ञानिक रिसर्च
शादी के मौक़े पर लड़कियां कुवारी है या नही उन्होनें किसी के साथ शारिरीक संबंध बनाये है या नही इस प्रकार के हज़ारों सवाल होते है। समाज में भी और घरों में भी एक नयी वैज्ञानिक रिसर्च ने इन सब मुश्किलों को आसान कर दिया।
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![औरतों के वर्जिनिटी टेस्ट से संबंधित वैज्ञानिक रिसर्च](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2022-04/thumbs/1650884350_sex.webp)
एक दिन सर्रास के मेल बॉक्स में एक अजनबी लड़की का ई-मेल आया। उस अजनबी ने सवाल किया था कि क्या वो कुंवारी हैं? यह पहली बार था जब सर्रास ने एक ऐसी तस्वीर देखी, जिसे उन्होंने 'वजाइना सेल्फ़ी' का नाम दिया। उस वक़्त उन्हें समझ में नहीं आया कि वो कैसे जवाब दें।
उस वक़्त सर्रास अरबी भाषा के 'लव मैटर्स' नाम के फ़ेसबुक पेज की एडमिन थीं। इस फ़ेसबुक पेज के ज़रिए सोशल मीडिया पर रिश्तों और सेक्स संबंधी तालीम अरबी ज़बान में दी जाती है।
सर्रास ने बताया, "उस अजनबी लड़की ने बताया कि अब तक वो एक रिश्ते में थी और अब उसकी सगाई हो रही है। वो इससे पहले यह तय कर लेना चाहती थी कि उसका कौमार्य भंग तो नहीं हुआ है।"
यह बताने के बाद सर्रास थोड़ी देर रुकती हैं और फिर कहती हैं, "मैं 'मफ़्तुहा' नाम के इस शब्द से बहुत नफ़रत करती हूं। उस अजनबी लड़की ने अपनी योनि की तस्वीर भेजकर पूछा था कि क्या वो 'मफ़्तुहा' हैं और क्या उसका हाइमन (योनि की झिल्ली) 'खुल गई' है।"
असल में वो अजनबी लड़की सर्रास से पूछना चाह रही थीं कि क्या वो उनका हाइमन देख पा रही हैं। साथ ही क्या वो उन्हें बता सकती हैं कि वो बिल्कुल सही हैं, क्योंकि उनके समाज में शादी के वक़्त कुंवारी होने का दबाव बहुत ज़्यादा होता है। उन्होंने बताया था कि शादी के बाद उनके पति उनके कुंवारी होने का सबूत हाइमन के फटने से निकलने वाले ख़ून के रूप में देखना चाहेंगे। मालूम हो कि किसी लड़की के हाइमन के ठीक होने पर माना जाता है कि उन्होंने अब तक सेक्स नहीं किया है और उनका कौमार्य सुरक्षित है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने 2018 में कौमार्य जांचने के इस तरीक़े को मानवाधिकारों का उल्लंघन क़रार दिया था।
लड़कियों के ऐसे इम्तिहान कई तरीक़ों से किए जा सकते हैं। मसलन योनि छूकर हाइमन जांचना या योनि का लचीलापन देखना या फिर सुहागरात में सेक्स के बाद चादर पर गिरे ख़ून के धब्बों को देखना और उसे रिश्तेदारों को दिखाना।
भले इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार न हो और बिना किसी वैज्ञानिक तर्क के कौमार्य एक सामाजिक मिथक हो, फिर भी दुनिया भर के करोड़ों लोग मानते हैं कि किसी भी महिला के सेक्स संबंधों का इतिहास उनके हाइमन से पता चल जाता है।
करोड़ों लोग मानते हैं कि किसी मर्द से पहली बार संबंध बनाने के दौरान लड़की की योनि से ख़ून निकलता ही है। ज़ाहिर है कि इनमें से कोई भी बात दुरुस्त नहीं है। फिर भी ऐसे अंधविश्वास हम तमाम समाजों और धर्मों के बीच पाते हैं।
मैंने अपनी किताब 'लूज़िंग इट: सेक्स एजुकेशन फ़ॉर 21 सेंचुरी' में हाइमन के इस मिथक को विस्तार से बताने की कोशिश की है। इसमें उन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की गई है, जो सर्रास जैसे लोग पूछते हैं।
इसमें बताया गया है कि आख़िर कब, कहां और किसने ऐसे मिथक गढ़े और इन्हें बढ़ावा दिया। यह भी बताया गया है कि क्या इस यक़ीन के सदियों से चले आने के पीछे वैज्ञानिक शोध की कमी है।
हालांकि मैंने पाया कि हाइमन से जुड़े मिथक तोड़ने वाले बहुत से वैज्ञानिक रिसर्च किए गए हैं। लेकिन मुझे यह भी पता चला कि कई डॉक्टर पहली बार सेक्स करने पर हाइमन के फटने और ख़ून निकलने वाले विचार को बढ़ावा देते हैं।
जनता द्वारा चुने गए बहुत से सदन भी ऐसी बातों पर अपनी मुहर लगाते हैं। दुनिया के ऐसे कई इलाक़ों में सेक्स एजुकेशन में हाइमन के बारे में सटीक जानकारी की पूरी तरह से अनदेखी की जाती है।
हाइमन आख़िर है क्या?
हाइमन यानी योनि की झिल्ली या वजाइनल कोरोना, टिश्यू या ऊतक का एक छोटा सा हिस्सा होता है, जो योनि द्वार के पास ही पाया जाता है। इस पर यक़ीन नहीं होता है कि बेमक़सद सा दिखने वाले टिश्यू के इस छोटे से टुकड़े को लेकर इतनी बेवजह और ग़लत बातें बताई जाती हैं। वैज्ञानिक समाज में हाइमन के होने और इसकी उपयोगिता को लेकर काफ़ी मतभेद हैं।
क्या यह हमारे उन स्तनधारी पूर्वजों से विरासत में मिला है, जो रेंगते हुए पानी से निकल कर ज़मीन पर आए थे? क्या ये नवजात बच्चों के मल में मिलने वाले बैक्टीरिया को योनि में घुसने से रोकने के लिए होता है? आख़िर क़ुदरत ने इसे बनाया ही क्यों, इसका जवाब किसी को नहीं पता। कुछ दूसरे जीवों की मादाओं में मांसपेशी के इस छोटे से टुकड़े का कुछ उपयोग पाया गया है। मसलन 'गिनी पिग' का हाइमन उस वक़्त पिघल जाता है, जब उनके प्रजनन का वक़्त आता है। और उस दौर के ख़त्म हो जाने के बाद हाइमन फिर से पनप जाता है। हालांकि इंसानों में हाइमन का ऐसा चमत्कार देखने को नहीं मिलता।
महिलाओं के हाइमन कई तरह के हो सकते हैं। ऊपर जो चित्र उकेरे गए हैं, कई महिलाओं ने उसे शायद ही उम्र के किसी दौर में कभी देखा हो। इस तस्वीर से पता चलता है कि हाइमन आख़िर दिखता कैसा है। बहुत से लोगों की ये धारणा ग़लत है कि हाइमन, योनि के मुंह को बंद रखता है। उनको इस बात का अंदाज़ा ही नहीं होता कि अगर ऐसा होता, तो महिलाओं की माहवारी नहीं हो पाती। हालांकि कुछ महिलाओं के हाइमन उनकी वजाइना के मुंह बंद रखते हैं और ऐसी महिलाएं ऑपरेशन से योनि का मुंह खुलवा सकती हैं।
इसके बजाय, ज़्यादातर महिलाओं के हाइमन का आकार अर्धचंद्र या अर्ध गोलाकार होता है। इनकी मोटाई भी अलग-अलग हो सकती है। उम्र के साथ साथ ये हाइमन भी बदलता रहता है कुछ महिलाओं की योनि में ये होता ही नहीं या फिर कुछ महिलाएं जब तक सेक्स करने की उम्र तक पहुंचती हैं, तब तक ये पूरी तरह से ग़ायब हो चुका होता है। वैसे कई तरह की गतिविधियों से ये झिल्ली फट जाती है। कई बार वर्जिश करने से या माहवारी के दौरान भी ऐसा हो सकता है। और हां, यौन संबंध बनाने के दौरान भी हो सकता है कि हाइमन फट जाए। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी महिला का हाइमन देखकर उनके यौन संबंध का इतिहास बता सकते हैं।
मिसाल के तौर पर, 2004 में किशोर उम्र की 36 गर्भवती लड़कियों पर किए गए एक अध्ययन में पता चला कि केवल दो लड़कियों में ही यौन संबंध बनाने के पक्के सुबूत पाए गए थे।2004 के ही एक और अध्ययन में पाया गया कि सेक्स करने वाली 52 फ़ीसदी किशोरियों ने बताया कि सेक्स करने के बाद भी उन्होंने 'अपने हाइमन में कोई फ़र्क़ महसूस नहीं किया।' ज़ाहिर है कि हम हाइमन के होने को सेक्स संबंध न बनाने का सबूत और इसके न होने को सेक्स करने के सबूत के तौर पर नहीं देख सकते।
चादर पर ख़ून लगने को दुनिया भर में कौमार्य परीक्षण का एक तरीक़ा माना जाता है। ये बात भी झूठ पर आधारित है। कई लड़कियों के हाइमन में पहली बार खिंचाव होने पर ख़ून निकलता है। ऐसा तब होता है जब वो आराम से न बैठें और कोई झटका लग जाए।
हालांकि, वजाइना से ख़ून आमतौर पर तभी निकलता है, जब ज़बरदस्ती यौन संबंध बनाया जाए या सेक्स के वक़्त उसमें गीलापन न हो।
पहली बार यौन संबंध बनाने में ख़ून निकल भी सकता है और नहीं भी निकल सकता। सेक्स के वक़्त वजाइना से ख़ून निकलने की भी कई वजहें हो सकती हैं। मसलन तनाव होना, पूरी तरह से सेक्स के लिए तैयार न होना या फिर संक्रमण जैसी स्थिति के कारण भी योनि से ख़ून निकल सकता है।
एक डॉक्टर ने अपनी 41 सहकर्मियों से पूछा कि पहली बार सेक्स करने पर उनके ख़ून निकला था या नहीं, तो उनमें से 63 फ़ीसदी ने इस सवाल का जवाब 'न' में दिया था।
लेकिन, जिन देशों में लड़कियों के कौमार्य को आज भी बहुत अहमियत दी जाती है और उनके यौन संबंध बनाने पर निगरानी रखी जाती है, वहां पर ऐसे वैज्ञानिक तर्क दे पाने की कोई ख़ास गुंजाइश नहीं दिखती। 2011 में तुर्की की डिच्ले यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 72 फ़ीसदी छात्राएं और 74 प्रतिशत छात्र, मानते थे कि हाइमन कुंवारी होने का प्रतीक है। उस स्टडी में शामिल 30 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि शादी के दिन परिवार को 'ख़ून से सनी चादर' दिखाई जानी चाहिए।
ऐसे मिथक, महिलाओं को अच्छे यौन स्वास्थ्य से महरूम करते हैं। उनकी अपनी सेक्सुअल पहचान की तलाश करने में ये मिथक रुकावट बनते हैं और सेक्स संबंधों को लेकर तनाव का भी कारण बनते हैं। मिस्र के गीज़ा में हुए एक सामाजिक अध्ययन में शामिल ज़्यादातर महिलाओं ने कहा कि सुहागरात को वे बहुत तनाव में थीं। सेक्स के दौरान उन्हें बहुत दर्द और घबराहट हुई और उसके बाद भी वो सामान्य नहीं हो सकी थीं। इसकी वजह हाइमन और कुंवारेपन को लेकर फैले ये मिथक थे।
2013 में यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच कराए गए एक अध्ययन में शामिल लगभग 43 फ़ीसदी महिलाओं ने कहा कि सुहागरात को सेक्स के दौरान ख़ून न बहने के ख़ौफ़ से वो शादी से पहले सेक्स संबंध बनाना नहीं चाहेंगी। 2017 में लेबनान में ही हुए एक अन्य अध्ययन में शामिल 416 महिलाओं में से लगभग 40 प्रतिशत ने बताया कि अपने हाइमन को सुहागरात तक बचाए रखने के लिए उन्होंने शादी से पहले एनल या ओरल सेक्स ही किया था।
मैंने अपने रिसर्च में ऐसी अनगिनत ऑनलाइन पोस्ट पाईं, जिसमें महिलाएं इस बात को लेकर ख़ौफ़ज़दा थीं कि यदि उन्होंने मास्टरबेशन भी किया, तो उनकी योनि की झिल्ली फट जाएगी। यहां तक कि वो हाइमन को लेकर इतनी डरी हुई थीं कि उन्होंने कभी उसे छूकर देखने की भी हिम्मत नहीं की।
सोर्स : बीबीसी