मणिपुर के नोनी ज़िले में एक रेलवे निर्माण स्थल पर हुए भीषण भूस्खलन में अब तक 13 लोगों के मरने की ख़बर है और स्थानीय लोगों तथा सेना के जवानों समेत दर्जनों लोग लापता हो गए हैं। सैन्य अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि भारतीय सेना का 107 टेरिटोरियल आर्मी कैंप भूस्खलन की चपेट में आया है। सूत्रों के मुताबिक, मृतकों की पहचान इसी कैंप के जवानों के तौर पर हुई है, जो कि निर्माणाधीन टुपुल रेलवे स्टेशन के पास उसकी सुरक्षा के लिए तैनात थे।
डीजीपी पी. दौंगल ने बताया कि हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन बारिश और अन्य कारणों से ऐसा हुआ है, 13 शव अब तक बाहर निकाले जा चुके हैं। भूस्खलन के कारण बड़े पैमाने पर मलबे ने इजेई नदी को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे एक जलाशय बन गया है जो निचले इलाकों को जलमग्न कर सकता है।
प्रशासन ने इन इलाकों में रहने वाले लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी है। मणिपुर के राज्यपाल एल. गणेशन ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा राहत बल के जवान बचाव अभियान में शामिल होने जा रहे हैं।
भारत के गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल का एक दल भूस्खलन स्थल पर पहुंच गया है जबकि दो और दल रास्ते में हैं। शाह ने ट्वीट किया है कि मणिपुर में टुपुल रेलवे स्टेशन के समीप भूस्खलन के बाद मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह और अश्विनी वैष्णव से बातचीत की। घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बिरेन सिंह से फोन पर बात की और भूस्खलन से पैदा हुई स्थिति की समीक्षा की।
उधर असम में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई और इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 31.5 लाख पहुंच गई।
राज्य में बाढ़ से जुड़ी घटनाओं ने 12 और लोगों की जान ले ली। अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ में 11 लोगों और एक व्यक्ति की भूस्खलन में मौत हो गई. कछार और चिरांग जिलों में दो-दो मौतें हुईं, जबकि बारपेटा, विश्वनाथ, दरांग, धेमाजी, गोलाघाट, कामरूप, लखीमपुर और नगांव में एक-एक मौत हुई।
कछार लगातार दूसरे दिन सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला रहा जिसमें लगभग 14.31 लाख लोग आपदा से प्रभावित हुए, केवल सिलचर में बाढ़ से कम से कम 7 लाख 25 हज़ार 306 लोग प्रभावित हुए हैं।
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