इजरायल अचानक इतना कमज़ोर क्यो दिख रहा है?
गाज़ा और इजरायल के बीच के हालिया युद्ध अगरचे केवल तीन दिन चला, लेकिन इस युद्ध में इजरायल अभूतपूर्व रूप से कमज़ोर दिखा।
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5 जून 1967 में इजरायल ने एक साथ चार देशों पर हमला किया। इस हमले में इजरायल ने मिस्र, सीरिया, जार्डन और इराक़ की वायु सेना को ध्वस्त कर दिया। इस युद्ध के बाद इजरायल ने सीरिया की गोलान हाइट्स, गाज़ा पट्टी, वेस्ट बैंक, और सिनाई प्रायद्वीप पर कब्ज़ा कर लिया।
इस समय इजरायल एक अजगर की भाति दिख रहा था जिसको हराना नामुमकिन था। यह वह समय था कि जब अरब देशों की जनता के बीच इजरायल की अविजयी क्षवि बन गई थी, उस समय माएं अपने बच्चों को डराने के लिए इजरायल का नाम लिया करती थीं।
इजरायल का भय अरब पर ऐसे ही छाया रहा यहां तक कि 1987 में फिलिस्तीन का पहला इन्तेफादा शुरू हुआ। इस इन्तिफाजा की शुरूआत के साथ ही इजरायल की कमज़ोरियां सामने आने लगीं। उस समय फिलिस्तीनी लोगों ने अपने खाली हाथों के साथ इजरायल के वैभव और अविजयी क्षवि को पहला मुक्का मारा।
यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहा यहां तक कि 2000 में अलअकसा इन्तेफादा शुरू हुआ और उस समय फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने इजरायल को उसी के घर में करारी शिकस्त दी। उसके बाद इजरायल को गाज़ा पट्टी, दक्षिणी लेबनान फिर 2012 और 2014 की गाज़ा वार और फिर 10 मई जिसको कुद्स तलवार के नाम से जाना जाता है तक पहुँचते हैं।
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एक के बाद एक करारी हार के बाद इजरायल ने अपनी कमज़ोरियों पर पार पाने की कोशिश की और एक बार फिर अपने आप को शक्तिशाली दिखाने की कोशिश की, लेकिन इस बार उसको हमास की अलकुद्स ब्रिगेड की जनीन बटालियन से मुकाबला करना पड़ा। यह बटालियन पिछले साथ सितम्बर में जनीन में बनाई गई थी। यह बटालियन इस समय एक भड़कती हुई आग की भाति लगातार आगे बढ़ रही है और इसने इजरायली खुफिया एजेंसी द्वारा लगातार हत्याओं के बावजूद लगातार चौंका रही है।
इस बटालियन के सक्रियता ने इजरायल को विवश कर दिया कि वह गाज़ा पट्टी में हमास की गतिविधियों पर विशेष ध्यान केंद्रित करे, और इस संगठन के सदस्यों को ट्रैक करे। इजरायल ने यही कि और 2 मई को जिहाद के एक प्रमुख लीडर बसाम अलसादी को वेस्ट बैंक से गिरफ्तार कर लिया।
बसाम कि गिरफ्तारी के समय उनके साथ इजरायली सैनिकों के अपमानजनक व्यवहार, उनके साथ मारपीट और खूंखार कुत्तों के सामने उनको डालने और ज़मीन पर घसीटने के दृश्यों ने फिलिस्तीनियों को क्रोधित कर दिया। जिसके बाद अलकुद्स ब्रिगेड ने अपने बलों को इस अपमानजनक व्यवहार का बदला लेने के लिए एलर्ट पर डाल दिया।
इस अपमानजनक गिरफ्तारी के बाद कुद्स ब्रिगेड और इजरायली सैनिकों के बीच तीन दिन तक खूंखार लड़ाई हुई। इस युद्ध में बेएर सबआ, असकलान से लेकर तेल अवीव तक 110 किलोमीटर से अधिक के दायरे में इजरायली बस्तियों पर सैंकड़ों मीसाइल बरसाए गए, और 5 मिलयन से अधिक इजरायली नागरिक अपना घरबार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए विवश हो गए।
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तीन दिन से इस छोटे से युद्ध ने इजरायल की कमज़ोरियों और अव्यवस्थित स्थिति को स्पष्ट कर दिया। इस युद्ध ने दिखा दिया कि किस प्रकार इजराल के नेता हर कीमत पर युद्ध विराम और इस स्थिति से निकलने के लिए तैयार हैं। इन तीन दिनों के युद्ध में इजरायल को 500 लाख शिकिल (इजरायली मुद्रा) की नुकसान हुआ।
अब हम दोबारा अपने पहले के सवाल की तरफ़ वापस लौटते हैं कि अपनी सारी सैन्य शक्ति, अमरीकी और पश्चिमी समर्थन के बावजूद इजरायल इतना कमज़ोर क्यों दिखाई देता है?
यहां पर हम आपके सामने इस युद्ध में इजरायल की हार और उसकी कमज़ोरियों को बयान कर रहे हैं।
1. इजरायल युद्ध के क्षेत्र को एक स्थान पर सीमित रखने में नाकाम रहा। इजरायल फिलिस्तीनी प्रतिरोध को दूसरे क्षेत्रों जैसे वेस्ट बैंक और बैतुल मुकद्दस में हो रही घटनाओं पर उदासीन बने रहने पर मजबूर नहीं कर सका।
2. इजरायल, जिहादे इस्लामी फिलिस्तीन की सैन्य शक्ति को समाप्त करने और उनको झुकाने में बुरी तरह से नाकाम रहा।
3. इजरायल द्वारा जिहादे इस्लामी फिलिस्तीन (हमास) के समर्थकों और फिलिस्तीन की आम जनता के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिशें न केवल यह का विफल रहीं, बल्कि यह आंदलोन जनता के बीच और लोकप्रिय हो गया।
4. सबसे बड़ी चीज़ यह रही कि इस युद्ध में पूरी दुनिया ने इजरायल की कमज़ोरी ऐसे समय में देखी कि जब वह पूरे हमास संगठन नहीं बल्कि उसकी एक शाखा के विरुद्ध लड़ रहा था। यह इजरायल को और अधिक कमज़ोर दिखाता है। इससे पता चलता है कि अगर बड़े स्केल पर एक पूर्ण युद्ध होता है तो उसकी सेना ध्वस्त हो सकती है।
निष्कर्ष
अपने आप को शक्तिशाली दिखाने की तमाम कोशिशों के बावजूद इजरायल तमाम मोर्चों विशेष रूप से सैन्य मोर्चे पर बहुत कमज़ोर दिखाई दिया और यह स्थिति निकट भविष्य में सही होती दिखाई नहीं देती है।