जानिए गर्भपात पर देश-दुनिया में कैसे-कैसे है कानून?
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत 24 सप्ताह के अंदर गर्भपात का अधिकार सभी को है। अदालत ने ये भी कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून के दायरे से अविवाहित महिला को बाहर रखना असंवैधानिक है।
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सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने देश की सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया, चाहें वो विवाहित हों या अविवाहित। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत 24 सप्ताह के अंदर गर्भपात का अधिकार सभी को है। अदालत ने ये भी कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून के दायरे से अविवाहित महिला को बाहर रखना असंवैधानिक है।
आखिर गर्भपात को लेकर देश का कानून क्या कहता है? दुनिया के कितने देशों में गर्भपात पर प्रतिबंध है? किन देशों में आसान है गर्भपात कराना?
पूरा मामला क्या है?
दरअसल, एक 25 साल की महिला की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। महिला अपने साथी के साथ सहमति से रह रही थी। बाद में उसने शादी से इनकार कर दिया। गर्भवति महिला का कहना है कि वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती, इसलिए उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को इसकी इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद महिला सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
पहले इस तरह के मामले में कोर्ट का क्या रुख रहा है?
इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गर्भपात कानून के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच कोई भी भेदभाव, महिला की व्यक्तिगत स्वायत्तता का उल्लंघन है। उस वक्त जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा था कि वह मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट और इससे जुड़े नियमों में हस्तक्षेप करेंगे और देखेंगे कि क्या अविवाहित महिलाओं को डॉक्टरी सलाह के आधार पर 24 सप्ताह तक के गर्भ को गिराने की अनुमति दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई तरक्की को देखते हुए एमटीपी कानून और नियमों की भविष्योन्मुखी व्याख्या होनी चाहिए।"
भारत में गर्भपात को लेकर क्या कानून है?
1971 का मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 गर्भवती महिला को 20 हफ्ते तक गर्भपात कराने की इजाजत देता है। 2021 में हुए बदलाव के बाद ये सीमा कुछ विशेष परिस्थितियों में 24 हफ्ते कर दी गई। हालांकि, ऐसा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं किया जा सकता है। अगर गर्भ 24 हफ्ते से ज्यादा का है तो पहले एबॉर्शन की अनुमति नहीं थी, पर नए कानून के तहत मेडिकल बोर्ड की रजामंदी पर ऐसा किया जा सकता। इसके लिए तीन श्रेणियां बनाई गईं।
गर्भावस्था के 0 से 20 हफ्ते तक: अगर कोई भी गर्भवती महिला गर्भपात करना चाहती है तो वह एक रजिस्टर्ड डॉक्टर की सलाह से ऐसा कर सकती है। भले वो महिला विवाहित हो या अविवाहित।
गर्भावस्था के 20 से 24 हफ्ते तक: अगर गर्भवती महिला के जीवन को खतरा हो या उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गहरा आघात लगने का डर हो, या जन्म लेने वाले बच्चे को गंभीर शारीरिक या मानसिक विकलांगता का डर हो, तब वह महिला दो डॉक्टरों की सलाह पर गर्भपात करा सकेगी। इस श्रेणी में यह परिस्थितियां महत्वपूर्ण होंगी।
अगर अनचाहा गर्भ ठहरा हो। महिला या उसके पार्टनर ने गर्भावस्था से बचने के लिए जिन उपायों को आजमाया हो, वह फेल हो जाए।
अगर महिला आरोप लगाए कि दुष्कर्म की वजह से गर्भ ठहरा है। इस तरह की प्रेगनेंसी उस महिला के लिए मानसिक रूप से अच्छी नहीं होगी।
जहां भ्रूण में विकृति हो और इसका पता 24 हफ्ते बाद चले तो मेडिकल बोर्ड की सलाह के बाद गर्भपात किया जा सकेगा।
गर्भावस्था के 24 हफ्ते बाद: अगर भूर्ण अत्यधिक विकृत हो तो मेडिकल बोर्ड की सलाह पर 24 हफ्ते के बाद भी गर्भपात कराया जा सकता है। अगर गर्भवती महिला का जीवन बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी हो तो भी कभी भी गर्भपात कराया जा सकता है।