जज-ृडसाल 1974 में भारत पहला गैर अरब देश था जिसने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (PLO) को मान्यता दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीन के लिए भारत के "अटूट समर्थन की प्रतिबद्धता को दोहराया"। फलिस्तीन के लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता प्रदर्शित को रखे गए दिन पर, संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फिलिस्तीन लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने वाले इस दिन पर, मैं फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत के अटूट समर्थन को दोहरता हूं।
उन्होंने कहा कि भारत और फिलिस्तीन के दोस्ताना लोगों के साझा ऐतिहासिक संबंध हैं। हमने हमेशा आत्मनिर्भरता और सम्मान के साथ सामाजिक और आर्थिक विकास खोज रहे फिलिस्तीन के लोगों का सर्मथन किया है। हमें उम्मीद है कि फिलिस्तीन और इज़रायली पक्ष के बीच सीधी बातचीत होगी और वो एक समग्र और आपसी सहमति वाला उपाय खोज लेंगे।
इस साल अक्टूबर में, भारत ने फिलिस्तीन के लिए 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का एक चेक एक संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी को दिया था। यह फिलिस्तीन के लिए वार्षिक 5 मिलियन के समर्थन के हिस्से के तौर पर दिया गया। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी द्वारा यह फिलिस्तीनी शरणार्थियों के स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों पर सीधे तौर से खर्च होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार और लोगों की तरफ से मैं फिलिस्तीन के लोगों को देश का दर्जा, शांति और संपन्नता पाने की यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
भारत-फिलिस्तीन के रिश्ते करीब आधी सदी पुराने हैं। साल 1974 में भारत पहला गैर अरब देश बना था जिसने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (PLO) को मान्यता दी थी। इसके 14 साल बाद भारत उन कुछ देशों में से है जो फिलिस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता देता है। फिलिस्तीन के साथ राजनैतिक संबंध 1996 में बढ़े जब भारत ने गज्ज़ा पट्टी में अपने प्रतिनिधि का दफ्तर खोला। बाद में इसे 2003 में रामल्ला में स्थानांतरित कर दिया गया।