कहा जा रहा है कि इस बड़े घोटाले में न्याय मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल थे। आरोपियों ने तेल कंपनियों द्वारा इराक़ी जनरल कमीशन ऑफ़ टैक्स (IGCT) को भुगतान किए गए टैक्स को ही स्वाहा कर दिया। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह इराक़ की अब तक कि सबसे बड़ी चोरी साबित हो सकती है।
मुख्य रूप से जिन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को निशाना बनाया गया है, उनमें चाइना पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, सीपीईसीसी और रूसी ऊर्जा जियांट कंपनी की स्थानीय सहायक कंपनी लुकोइल मिड-ईस्ट लिमिटेड है।
इस घोटाले में कंपनियों की ओर से टैक्स डिपॉज़िट रिफ़ंड के लिए अनुरोध के जवाब में आईजीसीटी द्वारा जारी किए गए झूठे दस्तावेज़ों और चेकों को तैयार करना शामिल है।
तेल कंपनियों के प्रतिनिधि होने का झूठा दावा करने वाले घोटालेबाज़ों ने चेक के बदले सरकारी बैंक राफ़ेदेन बैंक की एक ब्रांच में आईजीसीटी के टैक्स अकाउंट से पैसे निकाल लिए।
दावा किया जा रहा है कि सदी की सबसे बड़ी चोरी के नाम से पहचाने जाने वाला यह घोटाला क़रीब 5 बिलियन डॉलर का है।
इराक़ी वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का दावा है कि कोई चोरी नहीं हुई है, क्योंकि चेक का मूल्य करोड़ों डॉलर था और उसके भुगतान में जल्दबाज़ी की वजह से कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान इस ओर चला गया।
इराक़ी अधिकारियों का कहना है कि चेकों के बारे में तुरंत रूप से संबंधित सरकारी विभागों को दे दी गई, जिसके बाद सरकार ने इस पर जांच बैठा दी है।
सूत्रों का कहना है कि बाक़ी बचे कुछ चेकों को कैश होने से रोक दिया गया, लेकिन उससे पहले ही 44 बिलियन दीनार से ज़्यादा की रक़म निकाल ली गई थी