कासिम सोलेमानी की हत्या ने इराक में अमेरिकी हितों को कैसे नुकसान पहुंचाया? भाग -2
कासिम सुलेमानी की हत्या के ट्रम्प के लापरवाह फैसले के व्यापक परिणामों को अमेरिका और इराक अभी भी महसूस कर रहे हैं।
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भाग -2
जनरल सुलेमानी और अबू महदी अल-मुहांदिस का इराक में मिलिशिया समूहों पर काफी होल्ड और नियंत्रण था, यह चीज़ इराक में और तदानुसार अमेरिकी सेना के लिए एक अनुमानित माहौल बना सकता था, और वह बहुत हद तक अनुमान लगा सकते थे कि भविष्य में क्या होने वाला है। अब वे (अमेरिकी) उग्रवादी समूहों की एक श्रृंखला का सामना कर रहे हैं, जिनमें से कुछ स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं और इराकी सरकार और अमेरिकी सेना को अपनी पूरी ताकत से निशाना बना रहे हैं।
इस संबंध में, सेंटकॉम बलों के कमांडर "कीथ मैकेंजी" ने हाल ही में घोषणा की है कि उन्हें आने वाले हफ्तों में अमेरिकी सेना के खिलाफ और हमलों में और वृद्धि की उम्मीद है। हमें समझना चाहिए कि अगर अमेरिकी सेना इराक़ में नहीं है तो उनके लिए प्रतिरोध पैदा करने का भी कोई अर्थ नहीं रह जाता है। (जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्री द्वारा कहा गया था कि सुलैमानी की हत्या ने हमारे पक्ष में प्रतिरोध समीकरणों को झुकाया है- भाग 1 को पढ़ें) (https://gtn24.com/india/world/2036-.html) मौजूदा हालात में इराक में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी और इस देश में उनकी मनमानी हरकतों के खिलाफ तरह-तरह के विरोध हो रहे हैं। एक ऐसा मुद्दा जो काफी हद तक इराक में अमेरिकी सेना के खिलाफ हमलों को प्रोत्साहित और भड़काता है। मूल रूप से, इराक में संयुक्त राज्य अमेरिका की एकतरफा और गैरकानूनी कार्रवाइयाँ इराक में एक मजबूत सरकार के गठन की विफलता और इस देश में बड़े पैमाने पर लोकप्रिय विरोधों की शुरुआत का एक प्रभावी कारक है।
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2021 कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस में अपने भाषण के दौरान, माइक पोम्पिओ ने दावा किया: "जनरल सुलेमानी अब संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए खतरा नहीं है।" हालाँकि, पोम्पो ने जो कहा, उसके विपरीत, जनरल सुलेमानी की हत्या ने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए भारी और दुर्भाग्यपूर्ण परिणामों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है, जिससे अमेरिकी आज भी जूझ रहे हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि ईरान ने इस देश से व्यक्तिगत रूप से ट्रम्प प्रशासन और पोम्पिओ की 12 मांगों में से किसी को भी स्वीकार नहीं किया बल्कि उसके विपरीत उन्होंने जवाब के लिए "अधिकतम प्रतिरोध अभियान" शुरू किया। ट्रंप प्रशासन और पोम्पियो जैसे लोगों का ईरान के खिलाफ अधिकतम दबाव अभियान कोई उपलब्धि नहीं ला सका। इसके विपरीत, अब हम देखते हैं कि परमाणु वार्ता और परमाणु क्षमताओं में ईरान और अधिक शक्तिशाली हो गया है और उसके जवाब में अमेरिका की स्थिति और भी कमजोर हो गई है।
जनरल सुलेमानी की हत्या का निर्णय अमेरिकी विदेश नीति के उन निर्णयों में से एक है जिसने इसके परिणामों पर कोई ध्यान नहीं दिया। अमेरिका के नेताओं को इस भोली सोच को बंद करना चाहिए कि जो भी उनके हितो के लिए सही नहीं है उसे खत्म कर देना चाहिए। जनरल सुलेमानी की हत्या ने न केवल संयुक्त राज्य के हितों की मदद नहीं की, बल्कि वास्तव में इस देश के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ सीधा खतरा बन गया और इसके लिए दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम पैदा किए हैं।