यमन की राष्ट्रीय साल्वेशन सरकार के उप स्वास्थ्य मंत्री "अली जेहाफ़" ने चेतावनी दी कि यमन एक वास्तविक आपदा की कगार पर है जिससे गुर्दे की ख़राबी वाले पांच हज़ार रोगियों के जीवन को ख़तरा है।
यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अनीस अल-असबही ने गुर्दे की ख़राबी के रोगियों के जीवन को बचाने में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका और ज़िम्मेदारियों पर भी ज़ोर दिया और लाखों यमनियों के लिए दवाएं और खाद्य पदार्थों के आने के दो मुख्य रास्तों के रूप में सना हवाई अड्डे और अलहुदैदा बंदरगाह को फिर से खोलने की मांग की है।
इससे पहले, यमन के राष्ट्रीय मुक्ति सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के ख़िलाफ हमलावर सऊदी गठबंधन की निरंतर नाकेबंदी के कारण विशेष प्रकार की दवाओं की कमी का ज़िक्र करते हुए कहा था कि एनीमिया से 40 हज़ार थैलेसीमिया रोगियों के जीवन को ख़तरा है।
इस बीच ठंड के मौसम की शुरुआत से ईंधन की समस्या भी बढ़ गई है और इसके अलावा समाचार स्रोतों ने विस्थापितों के शिविरों में बच्चों के कड़ाके की ठंड से ठिठुरने की सूचना दी है जबकि कुछ अस्पतालों का काम भी ठप हो गया है और ईंधन और बिजली की कमी ने जहां रोगियों की समस्याओं बढ़ा दी हैं वहीं बच्चों की मौत की प्रक्रिया भी तेज़ हुई है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार, 12.9 मिलियन यमनी बच्चों सहित 23.4 मिलियन से अधिक लोगों को यानी यमन की आबादी के लगभग तीन-चौथाई लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और लगभग 2.2 मिलियन बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। इस संबंध में, यूनिसेफ़ ने घोषणा की कि 5 वर्ष से कम आयु के 5 लाख 40 हज़ार यमनी बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं और 9.2 मिलियन बच्चों सहित 17.8 मिलियन से अधिक यमनी नागरिक स्वच्छ पानी और चिकित्सा सेवाओं से वंचित हैं।
29 दिसम्बर को यूनीसेफ़ ने भी घोषणा की कि यमन उन 8 देशों की सूची में दूसरे स्थान पर है जो खाद्य सुरक्षा की कमी से पीड़ित हैं और पिछले दो साल के दौरान देश में कुपोषण से पीड़ित लोगों की संख्या 3.6 प्रतिशत से बढ़कर 66 प्रतिशत हो गयी।
दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2015 से यमन में युद्ध का शिकार हुए बच्चों की संख्या 11 हज़ार तक पहुंच गई है और 3 हज़ार 700 से अधिक बच्चों की जान चली गई है जिसका अर्थ है कि 4 बच्चे आए दिन युद्ध का शिकार होते रहे हैं।