मुद्रास्फीति, तस्करी, उच्च कीमतें और सब्जियों की कमी उन कारणों में से हैं जिसकी वजह से महंगाई आसमान छू रही है।
फ़िलीपींस में पकवानों में लहसुन प्याज़ डालकर पकाने का चलन सदियों पुराना है।
इसकी शुरुआत उस वक़्त हुई थी, जब स्पेन ने फ़िलीपींस पर क़ब्ज़ा करके उसे अपना ग़ुलाम बनाया था। फ़िलीपींस पर स्पेन का राज 1521 से 1898 तक चला था, जिसने फ़िलीपींस के खान-पान पर गहरा असर डाला था।
हालांकि, पिछले लगभग एक महीने से फ़िलीपींस के आम नागरिकों के लिए प्याज़ ख़रीदना रईसाना शौक़ बन गया है। दाम में ज़बरदस्त उछाल के बाद, अब प्याज़ की क़ीमत मांस-मछली से भी ज़्यादा हो गई है।
प्याज़ की ये क़ीमत फ़िलीपींस के किसी औसत कामगार की एक दिन की मज़दूरी से भी ज़्यादा है।
सोशल मीडिया पर फ़िलीपींस के लोग मज़ाक़िया मैसेज पोस्ट करके सरकार की आलोचना कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि उनके देश में प्याज़ की इस क़िल्लत में सरकार का भी हाथ है।
आईएनजी बैंक में एक वरिष्ठ अधिकारी निकोलस मापा फ़िलीपींस की राजधानी मनीला में रहते हैं। निकोलस ने बताया कि कई रेस्टोरेंट ने तो ऐसे पकवान बेचने ही बंद कर दिए हैं, जो प्याज़ से बनते हैं। जैसे कि पहले बर्गर के साथ आम तौर पर प्याज़ के छल्ले दिए जाते थे, लेकिन अब वो कई रेस्टोरेंट के मेन्यू से ग़ायब हो गए हैं।
निकोलस मापा कहते हैं कि प्याज़ के दाम में आग लगने की कम से कम दो बड़ी वजहें हैं। अगस्त महीने में कृषि विभाग ने प्याज़ के उत्पादन के जो पूर्वानुमान जारी किए थे, उनमें इशारा किया गया था कि इस साल प्याज़ की पैदावार देश की ज़रूरत से कम होगी। हालांकि, प्याज़ की फ़सल आशंका से कहीं ज़्यादा ख़राब हो गई। क्योंकि अगस्त सितंबर में फ़िलीपींस ने एक भयंकर समुद्री तूफ़ान की मार झेली थी।
उन्होंने कहा, "बदक़िस्मती से दूसरे देशों से प्याज़ मंगाने का काम देर से शुरू हुआ। प्याज़ का आयात तब शुरू किया गया, जब देश में हाहाकार मच गया। जबकि इसके दाम तो फ़रवरी में प्याज़ की नई फ़सल आने के साथ ही आसमान छूने लगे थे।"
जनवरी के पहले महीने में फ़िलीपींस की सरकार ने क़ीमतों पर क़ाबू पाने के लिए 2।2 करोड़ टन प्याज़ के आयात की मंज़ूरी दी।
सोर्स बीबीसी