आज यानी 23 अगस्त के दिन पूरी दुनिया की नजर भारत के चंद्रयान 3 पर टिकी हैं। बीती 14 जुलाई को चंद्रयान 3 लॉन्च किया गया था, वहीं आज चांद शाम चांद की सतह पर चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग होनी है। भारत के चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के लिए प्रार्थना का दौर जारी है। इस मिशन को सफल बनाने में देशभर के कई वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है। चंद्रयान 3 मिशन के लिए किसी वैज्ञानिक ने कैमरा को किसी ने सॉफ्टवेयर बनाया है। चंद्रयान की सफल लॉन्चिंग में शामिल वैज्ञानिकों में कई उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे जिलों से जुड़े हुए हैं।
लखनऊ की रहने वाली डाॅ. रितु करिधाल चंद्रयान 3 मिशन की डायरेक्टर हैं। रितु कारिधाल को भारत की रॉकेट वुमन कहा जाता है। लखनऊ के नवयुग कन्या महाविद्यालय से इंटरमीडिएट करने के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी से भौतिकी में एमएससी की डिग्री हासिल की। बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में शामिल हुई और 1997 में ISRO में नौकरी का मौका मिला।
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फिरोजाबाद के टिकरी गांव के धर्मेंद्र प्रताप यादव चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग टीम में शामिल हैं। इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे धर्मेंद्र प्रताप का इस मिशन में मुख्य कार्य चंद्रयान से सिग्नल को प्राप्त करने का है। धर्मेंद्र ने जिले के बृजराज सिंह इंटर कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई की। मथुरा के हिंदुस्तान कॉलेज से बीटेक और जालंधर के कॉलेज से एमटेक किया। 2011 से वह इसरो में बतौर वैज्ञानिक सेवाएं दे रहे हैं।
गाजीपुर के रेवतीपुर के रहने वाले कमलेश शर्मा भी चंद्रयान 3 मिशन की टेक्निकल टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने जिले से ही विज्ञान संकाय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और बाद में गणित विषय से परास्नातक की डिग्री हासिल की। नेट और गेट की परीक्षा सफलता से पास होने के बाद वह 2010 में इसरो के सात मैथमेटिक्स एक्सपर्ट के तौर पर जुड़े।
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फतेहपुर जिले के रहने वाले सुमित कुमार चंद्रयान 3 में लगे कैमरे को वैज्ञानिक हैं। 2008 से इसरो अहमदाबाद केंद्र में कार्यरत सुमित ने टीम के साथ मिलकर अत्याधुनिक कैमरा डिजाइन किया, जिसे चंद्रयान के लैंडर और रोवर में लगाया गया है।