आयतुल्लाह खामेनई का अमेरिका के पतन पर बड़ा बयान
ईरानी क्रांति के लीडर और इस देश के सर्वोच्च नेता अली खामेनई ने पिछले कुछ दिनों पहले दिए अपने भाषण में अमेरिका के पतन को लेकर कुछ बाते कहीं है।
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आयतुल्लाह खामेनई ने विश्व की बदलती व्यवस्था के बीच देशों के नेताओं और जनता को और अधिक सतर्कता बरतने को आवश्यक बताया।
और ईरान में संकट पैदा करने की दुश्मन की योजनाओं का ज़िक्र करते हुए कहाः राष्ट्रीय एकता को नष्ट करना और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करना दुश्मन दो बुनियादी और गंभीर लक्ष्य हैं, लेकिन हम भी दुश्मन का मुकाबला करने के लिए बहुत गंभीर हैं और हमें विश्वास है कि ईरान के दुश्मन कुछ भी गलत नहीं कर सकते, बशर्ते कि राष्ट्र और अधिकारी सावधान, जागृत और सतर्क हों।
इस बैठक में अपनी मुख्य चर्चा में ईरान के सर्वोच्च नेता ने प्रमुख वैश्विक व्यवस्था में परिवर्तन के युग में राष्ट्रों और देशों के अधिकारियों अधिक सतर्कता की आवश्यकता पर चर्चा की।
उन्होंने 18वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप सहित एशिया के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और प्रथम विश्व युद्ध के बाद पश्चिम एशिया के बड़े क्षेत्रों पर पश्चिमी देशों के शासन को इन देशों की जनता और सरकारों की असतर्कता का परिणाम बताया
और कहाः बाद में इन क्षेत्रों के राष्ट्रों ने उपनिवेशवादियों के शिकारी वर्चस्व से मुक्त होने के लिए बहुत कुछ सहा। ईरान के सर्वोच्च नेता ने माना कि आज दुनिया परिवर्तन की दहलीज पर है और कुछ कोणों से परिवर्तन से गुजर रही है।
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उन्होंने औपनिवेशिक शक्तियों के कमजोर होने और नई क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के उदय को इन महान परिवर्तनों की दो विशेषताओं के रूप में गिना। उन्होंने कुछ पश्चिमी स्रोतों के शब्दों का हवाला देते हुए अमेरिका के पतन की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र सहित अमेरिकी प्रभुत्व के संकेतकों में गिरावट आ रही है
और कहा: सरकारें बदलने की अमेरिका की शक्ति में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। इसी सन्दर्भ में ईरान के नेता ने कहा: एक समय की बात है जब अमेरिका ने एक एजेंट को पैसों से भरे सूटकेस के साथ ईरान भेजा और 19 अगस्त को ईरान में तख्तापलट कर दिया।
लेकिन आज के समय में अमेरिका यह कार्य किसी भी देश में कर सकने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि उसने महंगे संयुक्त युद्ध का सहारा लिया है, लेकिन इसमें भी विफल रहा है।
अमेरिका के पतन के उदाहरण आयतुल्लाह खामेनई की ज़बानी
उन्होंने सीरिया में विफलता और अफगानिस्तान से अपमानजनक पलायन को अमेरिका के पतन के दो स्पष्ट उदाहरण बताया और कहा: बाकी अहंकारियों को भी उसी हालात का सामना करना पड़ा है।
जैसा कि इन दिनों विभिन्न अफ्रीकी देशों लंबे समय से जारी फ्रांसीसी उपनिवेश खिलाफ विद्रोह हो रहा है और जनता उसको समर्थन दे रही है। उन्होंने कहा: अगर हम यह कह रहे हैं कि शत्रु कमज़ोर हो रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह षडयंत्र रचने नुकसान पहुँचाने में असमर्थ है।
इसलिए, हम लोगों और अधिकारियों को जागरूक और सावधान रहना चाहिए। अयातुल्ला खामेनई ने अमेरिका की योजनाओं को केवल ईरान तक सीमित नहीं माना और कहा: अमेरिका के पास आज इस क्षेत्र में इराक, सीरिया, लेबनान, यमन, अफगानिस्तान और यहां तक कि फारस की खाड़ी के देशों के लिए भी योजनाएं हैं, जो उसके पुराने और पारंपरिक मित्र हैं।
अमेरिकी मानचित्र की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा: हमारी खुफिया जानकारी से पता चलता है कि अमेरिकी सरकार ने ईरान सहित देशों में संकट पैदा करने की एक श्रृंखला बनाई है, जिसका मिशन उन बिंदुओं को ढूंढना और भड़काना है जो उन्हें लगता है कि संकट का कारण बन सकते हैं।
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ईरान के नेता ने कहा: उनकी राय में, जातीय और धार्मिक मतभेद और लिंग और महिलाओं का मुद्दा ईरान में संकट पैदा करने वाले बिंदुओं में से हैं। कुछ अमेरिकियों के इस बयान का जिक्र करते हुए कि वे ईरान में सीरिया और यमन जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा: वे निश्चित रूप से ऐसा कुछ नहीं कर सकते, बशर्ते कि हम सावधान और एक रहें, गलत रास्ता न अपनाएं। सही को गलत के साथ भ्रमित न करें। दुश्मन के तरीकों को जानें, किसी भी शब्द, कार्य या चाल से दुश्मन की मदद न करें, और सो न जाएं और उदासीन न बनें क्योंकि जब आप सो रहे हों तो एक बच्चा भी आप पर हमला कर सकता है, एक हथियारबंद की तो बात ही छोड़िए।