चाबहार बदंरगाह के संचालन के लिए भारत और ईरान के बीच 13 मई को ही एक समझौता हुआ था। इस समझौते के लिए भारत 2003 से ही प्रयास कर रहा था। यह समझौता रईसी के राष्ट्रपति कार्यकाल में ही संभव हो पाया।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रईसी के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा है कि भारत-ईरान रिश्तों को मजबूत करने के लिए रईसी को हमेशा याद किया जाएगा।
भारत और ईरान ने 13 मई को ही चाबहार बंदरगाह के लिए एक समझौते पर दस्तखत किए थे। यह समझौता कितना महत्वपूर्ण है, इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि अमेरिकी नाराजगी को दरकिनार कर भारत इस समझौते पर आगे बढ़ा।
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रईसी के कार्यकाल में ही परवान चढ़ा चाबहार पर समझौता
ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित गहरे पानी का चाबहार बंदरगाह पर भारी मालवाहक जहाज आसानी ने आ-जा सकते हैं। इससे भारत, ईरान, अफगानिस्तान और यूरेशिया आपस में जुड़ेंगे चाबहार के लिए हुए इस समझौते को भारत का चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का जवाब माना जा रहा है
भारत इस समझौते के लिए 2003 से ही जोर दे रहा था। इसी के तहत 2016 में एक समझौता हुआ था। नया समझौता उसी की विस्तार है। समझौता रईसी के कार्यकाल में आगे बढ़ा।
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इब्राहिम रईसी की 2023 में मुलाकात हुई थी। वहीं इस साल जनवरी में विदेशमंत्री एस जयशंकर ने ईरान का दौरा किया। उन्होंने रईसी से भी मुलाकात की थी। भारत और ईरान संबंधों को और मजबूती देने रईसी अगले महीने भारत आने वाले थे।
इब्राहिम रईसी का कैसा था जीवन
रईसी ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्लाह अली खामेनेई के करीबी थे। रईसी ने जून 2021 में ईरान की सत्ता संभाली तब उनके सामने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई चुनौतियां थीं।
इब्राहिम रईसी का जन्म 1960 में ईरान के पवित्र शहर मशहद में हुआ था। रईसी के पिता एक मौलवी थे। रईसी जब पांच साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। रईसी जब 15 साल के हुए तो उन्होंने कुम शहर के एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू की। वो छात्र जीवन में ही राजनीति में सक्रिए हो गए।
जब वो 20 साल के थे तो उन्हें तेहरान के पास स्थित कराज का सरकारी वकील बनाया गया। बाद में वो तेहरान के भी सरकारी वकील रहे। उन्हें 2014 में ईरान का महाभियोजक बनाया गया था।