आज साल का पहला चंद्र ग्रहण शुरू हो चुका है। दुनिया के कई हिस्सों में इस चंद्र ग्रहण के नजारे को देखा जा रहा है। धार्मिक नजरिए से ग्रहण का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में ग्रहण को अशुभ माना गया है। ग्रहण के दौरान कई तरह की सावधानियां बरती जाती है। यह चंद्र ग्रहण बैशाख पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है। यह चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और विशाखा नक्षत्र में लगेगा। चंद्र ग्रहण कितने बजे से शुरू होगा, ग्रहण का असर किन राशियों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा, ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा या नहीं, ग्रहण कहां-कहां दिखाई देगा, ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें,इस ग्रहण का ज्योतिषीय और धार्मिक पहलु क्या है, गर्भवती महिलाएं इस चंद्र ग्रहण के दौरान किन बातों का रखें खास ध्यान 16 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण
15 दिनों के अंतराल पर यह साल का दूसरा ग्रहण होगा,इसके पहले 30 अप्रैल 2022 को सूर्य ग्रहण लग था। यह ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्रग्रहण हिंदू पंचांग के अनुसार वृश्चिक राशि, विशाखा नक्षत्र और परिध योग में घटित होगा।
कितने बजे से शुरू होगा चंद्र ग्रहण
ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह चंद्र ग्रहण 16 मई को सुबह 07 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 10 बजकर 23 मिनट पर होगा।
किस राशि में लगेगा चंद्र ग्रहण
ज्योतिष गणना के अनुसार चंद्र ग्रहण 16 मई को वृश्चिक राशि और विशाखा नक्षत्र में लगेगा।
चंद्र ग्रहण कहां-कहां दिखाई देगा
साल 2022 का यह दूसरा ग्रहण मुख्य रूप से अफ्रीका,दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप,उत्तर अमेरिका के अधिकांश हिस्सों से,दक्षिण अमेरिका से और एशिया के कुछ पश्चिमी भागों में दिखाई देगा। भारत में इस ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा।
सूतककाल मान्य नहीं होगा
भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। धार्मिक नजरिए से सूतक काल को अशुभ माना जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल का समय ग्रहण के शुरू होने के 9 घंटे पहले लग जाता है। सूतककाल के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है ऐसी मान्यताएं पौराणिक काल से चली आ रही है।
गर्भवती महिलाओं पर ग्रहण का असर
ऐसी मान्यता है कि चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण पर गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए अपशकुन और नुकसानदेह साबित हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र से निकल रही किरणों से गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक असर पड़ता है और इससे बच्चे में कई तरह की शारीरिक विकृतियां पैदा हो सकती हैं।
सोर्स : अमर उजाला