क्यों नहीं बन सकी सलमान खान की "इंशाअल्लाह"
हाल ही में रीलिज़ फिल्म गंगूबाई कठियावाड़ी के निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है कि सलमान खान की इंशाअल्लाह क्यों नहीं बन सकी।
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हम दिल दे चुके सनम, देवदास, गोलियों की रासलीला रामलीला, बाजीराव मस्तानी और पद्मावत जैसी भव्य और बड़ी फ़िल्में बनाने वाले निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली की हाल ही में रिलीज़ हुई फ़िल्म गंगूबाई काठियावाड़ी दर्शकों को पसंद आ रही है और उन्हें सिनेमाघर तक खींच रही है।
फ़िल्म ने 60 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली है और बॉक्स ऑफ़िस पर अपना दबदबा बनाए हुई है। गंगूबाई काठियावाड़ी की सफलता से संतुष्ट संजय लीला भंसाली बीबीसी से रूबरू हुए हैं और अपनी फ़िल्मों पर चर्चा की है।
'गुस्से का नतीजा गंगूबाई काठियावाड़ी'
गंगूबाई काठियावाड़ी की कहानी संजय लीला भंसाली के ज़हन में 'हम दिल दे चुके सनम' के समय से थी। लेकिन वो फ़िल्म के लिए बतौर निर्देशक तैयार नहीं थे पर वो इस कहानी के साथ जी रहे थे।
इस बीच उन्होंने कई फ़िल्में बनाईं जैसे ब्लैक, गुज़ारिश, सावरिया।। पर वो नहीं चलीं।
ऐसे में संजय लीला भंसाली ने ऐतिहासिक फ़िल्मों की तरफ रुख़ कर बाजीराव मस्तानी और पद्मावत बनाई जिसे दर्शकों का ख़ूब प्यार मिला।
पद्मावत के बाद संजय लीला भंसाली सलमान खान के साथ इंशाअल्लाह बनाने के लिए तैयार थे। फ़िल्म का भव्य सेट भी बन चुका था पर शूटिंग से पहले ही अचानक संजय लीला भंसाली और सलमान खान के बीच अनबन की खबरें आई और फ़िल्म नहीं बनी। संजय लीला भंसाली ने बताया की जब इंशाअल्लाह नहीं बनी तो उन्हें बहुत गुस्सा आया।
वो सोचने लगे कि ऐसा क्यों हुआ। पद्मावत के बाद एक भव्य सेट बनाने के बाद उसे बंद करना पड़ा। वो करीब एक हफ़्ते गुस्से में रहे। फिर संजय लीला भंसाली गंगूबाई काठियावाड़ी की स्क्रिप्ट पर लग गए।
इंशाअल्लाह के समय उनकी आलिया भट्ट से मुलाकात हो चुकी थी। बाद में संजय लीला भंसाली ने आलिया को गंगूबाई काठियावाड़ी ऑफर की।
आलिया भट्ट को शुरुआत में हिचकिचाहट थी पर वो बाद में तैयार हो गईं। इंशाअल्लाह के बंद होने के डेढ़ महीने बाद गंगूबाई की शूटिंग शुरू हो गई। भव्य सेट, भव्य कॉस्ट्यूम बनाए गए। संजय लीला भंसाली का मानना है कि उन्होंने अपने गुस्से का सबसे बेहतर इस्तेमाल किया है।
क्यों नहीं बनी इंशाअल्लाह?
संजय लीला भंसाली ने सुपरस्टार सलमान खान के साथ अपने शुरुआती दौर में दो फ़िल्में कीं- ख़ामोशी और हम दिल दे चुके सनम।
उसके बाद सलमान खान और संजय लीला भंसाली के रिश्तों में दूरियां आईं। करीब दो दशक के बाद निर्देशक-अभिनेता की ये जोड़ी इंशाअल्लाह से एक बार फिर सामने आने वाली थी लेकिन शूटिंग शुरू होने से पहले ही ये फ़िल्म बंद हो गई।
संजय लीला भंसाली से जब इसकी वजह पूछी गई तो वो कहते हैं,"जो बात नहीं बनी तो उस पर क्या बात करें?"
वो आगे कहते हैं ,"जब नहीं बनाना होता है तो नहीं बनती। बाजीराव-मस्तानी नहीं बनी जब सलमान थे, ऐश्वर्या थीं, करीना थीं। फ़िल्म का भाग्य नहीं होता है तो वो उस समय नहीं बनती। ये इस फ़िल्म की नियति थी, गंगूबाई की रूह थी जो बोली कि इसे बनाओ। मुझे खुद समझ नहीं आया कि फ़िल्म बंद कर मैं कैसे आगे निकल गया। महबूब स्टूडियो में सेट बना था, आलिया गाने पर डांस की रिहर्सल कर चुकी थीं, लाइटिंग हो चुकी थी फिर मेरे मुँह से निकल गया कि बंद कर दो ये नहीं करना।"
संजय लीला भंसाली का मानना है कि जो किस्मत में लिखा हुआ है वही होता है। जैसे रणवीर और दीपिका की किस्मत में थी बाजीराव मस्तानी, जब इस फ़िल्म की भंसाली ने घोषणा की थी तब दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह स्कूल में थे।