ज़ाहिर है जंग के इस माहौल में इन देशों के इस फ़ैसले से रूस को बहुत ज़्यादा आर्थिक नुक़सान हुआ है.
इस नुक़सान की भरपाई के लिए रूस ने भारत का रुख़ किया है.
रूस चाहता है कि भारत उसका तेल ख़रीदे और आने वाले दिनों में वहाँ अपना निवेश बढ़ाए.
इस बारे में 10 मार्च को रूस के उप-प्रधानमंत्री एलेग्ज़ेंडर नोवाक ने भारत के पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्री हरदीप पुरी से बात की.
इस बातचीत के बाद रूस की तरफ़ से बयान जारी किया गया. बताया गया कि कैसे भारत रूस से सालाना 1 बिलियन डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों आयात करता है और भविष्य में इसके बढ़ने की पूरी संभावना है.
समचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भारत कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं को रूस से रियायती कीमतों पर लेने पर विचार कर रहा है.
लेकिन भारत सरकार की तरफ़ से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
भारत में तेल की खपत और रूस से आयात
ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत, रूस से कितना और तेल ख़रीद सकता है? और क्या इससे दाम कम होंगे?
ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक़ दुनिया के तेल का 12 फ़ीसदी रूस में, 12 फ़ीसदी सऊदी अरब में और 16-18 फ़ीसदी उत्पादन अमेरिका में होता है.
भारत 85 फ़ीसदी तेल आयात करता है, जिसमें 60 फ़ीसदी खाड़ी देशों से लेता है.
तेल आयात करने के लिए भारत सऊदी अरब और अमेरिका पर ज़्यादा निर्भर करता है. इसके अलावा भारत, इराक़, ईरान, ओमान, कुवैत, रूस से भी तेल लेता है और कुछ स्पॉट मार्केट (खुले बाज़ार) से भी ख़रीदता है.
रूस से भारत अपनी ज़रूरत का महज दो फ़ीसदी तेल ही आयात करता है.
जब यूरोप की तेल की ज़्यादातर ज़रूरतें रूस पूरा करता है, तो भारत मित्र देश होने के बाद भी रूस से केवल 2 फ़ीसदी ही क्यों ख़रीद पाता है?
ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा कहते हैं, "इसका जवाब कुछ हद तक रूस की भौगोलिक स्थिति में भी छिपा है. रूस के वो क्षेत्र जहाँ तेल का उत्पादन होता है, वो पूर्वी इलाके से थोड़ा दूर है. उत्तर से तेल लाने में दिक़्क़त ये है कि वो आर्कटिक क्षेत्र के पास है, जहाँ ज़्यादातर वक़्त बर्फ़ ही रहता है. तीसरा रास्ता है ब्लैक सी का जो इस समय बाधित चल रहा है."
पिछले 10 सालों में भारत ने तेल के आयात में एक देश पर निर्भरता को ख़त्म करने के लिए कई और देशों से तेल ख़रीदना शुरू किया है, जिसमें अमेरिका और रूस भी शामिल हैं.
नरेंद्र तनेजा आगे कहते हैं, "रूस में भारत ने तेल और नैचुरल गैस के क्षेत्र में 16 बिलियन डॉलर का निवेश किया है. लेकिन वो तेल भारत नहीं ख़रीदता, दूसरे देशों को बेच देता है."
रूस से तेल ख़रीदने में मुश्किल क्या है?
फिलहाल रूस से तेल नहीं ख़रीदने की वजह से भी तेल के दाम दुनिया भर में बढ़े हैं.
ऐसे में माना जा रहा है कि रूस भारत को कम क़ीमत पर भी तेल बेचने को तैयार हो सकता है. बावजूद इसके जानकारों की माने तो भारत के लिए रूस से तेल का आयात बढ़ना, मुश्किल है.
पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग कहते हैं, "रूस से तेल ख़रीदने पर केवल अमेरिका में प्रतिबंध लगे हैं. भारत फिलहाल रूस से तेल ख़रीद तो सकता है, लेकिन रूस से तेल लाने की दिक़्क़त ज़्यादा है. इसके अलावा ख़रीदने पर पेमेंट में परेशानी आ सकती है."
कुछ जानकार मान रहे हैं कि भारत और रूस, रुपये और रूबल में कारोबार के बजाए 'बार्टर सिस्टम' की तर्ज पर कारोबार कर सकते हैं, जैसे ईरान पर प्रतिबंध के दौरान भारत ने किया था.