बिलक़ीस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों को 15 अगस्त को जेल से रिहा कर दिया गया। इन दोषियों ने 15 साल से अधिक जेल की सज़ा काटी थी जिसके बाद उनमें से एक ने अपनी समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले से जहां बहुत सारी बातें कहीं थी वहीं उन्होंने महिलओं के सम्मान और उन्हें मज़बूत बनाने की भी बात कही थी। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक़ राज्य सरकार के एक पैनल ने सज़ा की माफी के लिए उनके आवेदन को मंज़ूरी दी जिसके बाद उनकी जेल रिहाई हो पाई। 21 जनवरी, 2008 को मुंबई में सीबीआई की अदालत ने बिलक़ीस बानो के परिवार के सात सदस्यों के सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा को बरक़रार रखा था।
उल्लेखनीय है कि दाहोद ज़िले के लिमखेड़ा तालुका में 3 मार्च 2002 को कट्टरपंथी हिन्दी उपद्रवियों द्वारा बिलक़ीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उनकी तीन साल की बेटी सालेहा समेत 14 रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी। उस समय बिलक़ीस गर्भवती भी थीं। बिलक़ीस बानो नरसंहार में बच गई थीं और उनका मामला 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक था। इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुक़दमे को गुजरात से महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया गया था। बता दें कि वर्ष 2002 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब इस राज्य में मुसलमानों का नरसंहार हुआ था, जिसमें हज़ारों की संख्या में मुसलमान मारे गए थे और दसियों हज़ार घायल हुए थे। इन दंगों में कई मामले मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार के भी सामने आए थे।