विराट कोहली बन गए टीम की सबसे कमज़ोर कड़ी?
टीम इंडिया की बस एजबेस्टन के गेट नंबर-3 जो कि वीआईपी गेट है, वहां आकर रुकती है और टीम बस के एक गेट से रोहित शर्मा अकेले निकलते हैं तो दूसरे गेट से विराट कोहली, कोच राहुल द्रविड़ के साथ।
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बर्मिंघम ट्वेंटी-20 मैच से ठीक पहले एक बेहद दिलचस्प नज़ारा इस लेखक को स्टेडियम के बाहर देखने को मिला। कोहली और द्रविड़ के बीच किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा हो रही है और वो अंदर जाते है।
ये अपने आप में एक अनूठी बात थी क्योंकि अब तक हर दिन जब भी टीम इंडिया बस से उतरकर मैदान में प्रवेश करती थी तो कोहली अकेले होते थे और द्रविड़ अकेले। लेकिन, दूसरे टी-20 मैच से पहले गहन चर्चा इस बात पर हो रही थी कि रोहित शर्मा का ओपनिंग पार्टनर कौन होगा।
कयास ये लगाये जा रहे थे कि ईशान किशन की जगह कोहली ओपनर की भूमिका निभा सकते हैं। वो पिछले साल इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ में रोहित के साथ ओपनिंग कर चुके हैं। लेकिन, द्रविड़ ने शायद कोहली को मैच से पहले ये समझा लिया कि उन्हें नंबर-3 पर ही बल्लेबाज़ी करनी होगी और वो ऋषभ पंत को टेस्ट क्रिकेट के अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करने के लिए कहेंगे।
इसके बाद जब टॉस हुआ और इंग्लैंड ने भारत को बल्लेबाज़ी के लिए न्योता दिया तो कप्तान रोहित शर्मा और ऋषभ पंत ने उसी बेफ़िक्र अंदाज़ में बल्लेबाज़ी की जिसका क्रिकेट प्रेमी पिछले कई साल से इंतज़ार कर रहे थे।
छह ओवर यानी पावरप्ले के बाद सिर्फ़ एक विकेट के नुकसान पर 61 रन, भारत के आक्रामक इरादे की झलके दे रहा था। पहली बार एक साथ ओपनिंग करने वाली रोहित-ऋषभ की जोड़ी ने 29 गेंदों पर 49 रनों की साझेदारी की, जिसने एक बड़े स्कोर का आधार रखा।
लेकिन, इंग्लैंड भला कहां शांत बैठने वाला था। पावर-प्ले के बाद मेजबानों ने गेंद के साथ अपना पावर दिखाया और जल्द ही टीम इंडिया का स्कोर पांच विकेट पर 89 रन हो गया।
ये स्कोर 'पुरानी टीम इंडिया' को डिफेंसिव बना सकता था लेकिन राहुल द्रविड़-रोहित शर्मा की टीम मिडल ओवर्स में विकेट गिरने के बावजूद तेज़ी से रन बनाने का इरादा छोड़ती नहीं है।
जनवरी 2020 से लेकर पिछले साल के टी-20 वर्ल्ड कप तक भारत पावर-प्ले ओवर्स में आठ रन प्रति ओवर से भी कम की रफ्तार से रन बनाता था और इस दौरान 20 फ़ीसद से भी कम शॉट बाउंड्री वाले होते थे। लेकिन, अब रोहित शर्मा- राहुल द्रविड़ वाले दौरे में पावर वाले में रन रेट करीब 8।50 और बाउंड्री का प्रतिशत करीब 25 है।
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बेहतरीन शुरुआत के बाद अब दारोमदार विराट कोहली के अनुभवी कंधों पर था। लेकिन, कोहली एक बार फिर से खुद को साबित करने और एक बड़ी पारी खेलने के दबाव में दिखे और बहुत जल्दी ही अनावश्यक जोखिम लेने की कोशिश की। नतीजा एक और नाकामी।
दरअसल, इन दिनों मैदान पर किस्मत भी उनसे रुठी चल रही है क्योंकि जहां रोहित और रविंद्र जडेजा को जीवनदान मिल जाते हैं वहीं कोहली को कोई भी एक मौका तक नहीं देता है।
भारत ने 10 गेंदों के भीतर कोहली, रोहित और पंत के विकेट खो दिये। हार्दिक पंड्या और सूर्यकुमार यादव भी इस बार बहुत ख़ास नहीं कर पाए। दबाव भारत पर था। लेकिन, दिनेश कार्तिक की नाकामी के बावजूद जडेजा ने भारत को एक ऐसे स्कोर तक पहुंचने में मदद की जहां पर शानदार गेंदबाज़ी आक्रमण से मैच जीतने के बारे में सोचा जा सकता था।