Israel Election: इजरायल में चार साल में पांचवीं बार लोकसभा चुनाव
Israel Election: इजरायल में रहने वाले फिलीस्तीनी नागरिकों की आवाजें अक्सर देश की शोरगुल वाली राजनीति में दब जाती हैं या फिर उन्हें अमान्य कर दिया जाता है।
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फिर भी आगामी संसदीय चुनाव में मुस्लिम आबादी किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है और देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, इसके चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं। इजरायल में एक नवंबर को पिछले चार सालों से कम वक्त में पांचवीं बार मतदान होने वाले हैं और संभावना यही है, कि इस बार बेंजामिन नेतन्याहू फिर से प्रधानमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, जो भी ओपिनियन पोल आए हैं, उससे संभावना यही बन रही है, इस बार भी इजरायल में राजनीतिक अस्थिरता बनी रहेगी और किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होगा।
इजरायल की कुल जनसंख्या का पांचवां हिस्सा मुस्लिमों का है, जिनमें ज्यादातर फिलिस्तीनी मूल के हैं। मुस्लिम बाहुल्य वो क्षेत्र है, जिसपर 1967 में इजरायल ने कब्जा कर लिया था। लिहाजा, इन मतदाताओं के बीच मतदान महत्वपूर्ण होगा। लिहाजा, इन मुस्लिमों में से एक अगर एक बूंद वोट भी बेंजामिन नेतन्याहू को मिल जाए, तो उनका प्रधानमंत्री बनना तय हो जाएगा। लेकिन, ऐसा होने की संभावना दुर्लभ है। इजरायसी मुस्लिमों का वोट बेंजामिन नेतन्याहू के राजनीतिक विरोधियों को ही जाने की संभावना है। एक इजरायली थिंक टैंक, इजराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट में अरब वोटिंग पैटर्न का अध्ययन करने वाले एरिक रुडनित्ज़की ने कहा कि, "मुझे शायद ही एक भी चुनाव अभियान याद हो, जो पूरी तरह से अरब नागरिकों के वोट पर निर्भर ना रहा हो।" हालांकि, ज्यादातर अरब वोटर्स वोट देने ही नहीं जाते हैं और इस बार भी कुछ ऐसा ही होने की संभावना है। ज्यादातर सर्वेक्षण यही बता रहे हैं, कि अरब वोटरों का मतदान प्रतिशत काफी कम रहेगा। मौजूदा इजरायली गठबंधन सरकार में अरब पार्टी शामिल थी, जो इजरायली इतिहास में पहली बार हुआ था।
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से पता चल रहा है, कि इजरायल की अरब पार्टियां 120 सदस्यीय संसद में कम से कम आठ सीटें जीत सकती हैं, जो 2020 में 15 के उच्च स्तर से काफी कम है। लिहाजा, ये स्थिति पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर सर्वेक्षण सही साबित होते हैं, तो फिर इजरायल में एक बार फिर बेंजामिन नेतन्याहू की कट्टर राष्ट्रवादी सरकार का निर्माण हो सकता है, जिसके नेता अरब सांसदों को "आतंकवादी" कहते हैं और उन्हें देश से बाहर निकालना चाहते हैं। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए अरब पार्टियां चाहती हैं, कि संसद में उनके ज्यादा से ज्यादा सांसद पहुंचे, लिहाजा अरब पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। वहीं, इजरायल में अरब निवासियों के क्षेत्र पर बाहरी मुस्लिम देशों का काफी प्रभाव पड़त है, लिजाजा आखिरी वक्त तक परिवर्तन होने की संभावना बनी हुई है। इजरायल की नेशनलिस्ट बलाद पार्टी के प्रमुख सामी अबू शेहादेह ने कहा कि, "लोगों ने उम्मीद खो दी है।" उन्होंने कहा कि, "हम उन्हें बताते हैं कि अब बलाद को वोट देना होगा और ये दूसरा वोट नहीं है।" उन्होंने कहा कि, अगर लोगों ने ऐसा नहीं किया, तो यह "पूरे राजनीतिक मानचित्र को बदल सकता है।"
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से पता चल रहा है, कि इजरायल की अरब पार्टियां 120 सदस्यीय संसद में कम से कम आठ सीटें जीत सकती हैं, जो 2020 में 15 के उच्च स्तर से काफी कम है। लिहाजा, ये स्थिति पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर सर्वेक्षण सही साबित होते हैं, तो फिर इजरायल में एक बार फिर बेंजामिन नेतन्याहू की कट्टर राष्ट्रवादी सरकार का निर्माण हो सकता है, जिसके नेता अरब सांसदों को "आतंकवादी" कहते हैं और उन्हें देश से बाहर निकालना चाहते हैं। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए अरब पार्टियां चाहती हैं, कि संसद में उनके ज्यादा से ज्यादा सांसद पहुंचे, लिहाजा अरब पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। वहीं, इजरायल में अरब निवासियों के क्षेत्र पर बाहरी मुस्लिम देशों का काफी प्रभाव पड़त है, लिजाजा आखिरी वक्त तक परिवर्तन होने की संभावना बनी हुई है। इजरायल की नेशनलिस्ट बलाद पार्टी के प्रमुख सामी अबू शेहादेह ने कहा कि, "लोगों ने उम्मीद खो दी है।" उन्होंने कहा कि, "हम उन्हें बताते हैं कि अब बलाद को वोट देना होगा और ये दूसरा वोट नहीं है।" उन्होंने कहा कि, अगर लोगों ने ऐसा नहीं किया, तो यह "पूरे राजनीतिक मानचित्र को बदल सकता है।"
सोर्स : वन इंन्डिया हिन्दी