कब्जे वाले क्षेत्रों में पिछले दो दिनों में सबसे महत्वपूर्ण खबरों में से एक इजरायली सेना के पूर्व कमांडर और युद्ध आपातकालीन कैबिनेट के वर्तमान सदस्य गाडी ईसेनकोट का चौंकाने वाला साक्षात्कार है।
अपने इंटरव्यू में उन्होंने गाजा की लड़ाई में अपने बेटे की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि वह अपने बेटे का खून बर्बाद नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि हमास की पूरी तरह से हार एक कल्पना और झूठ है जो लोगों को बताया गया और नेतन्याहू की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने हमास के साथ युद्ध के लिए बताए गए लक्ष्यों को एक बड़ा जुम्ला बताते हुए कहा कि 100 से अधिक दिन बीत जाने के बावजूद अब तक सेना या देश के प्रधानमंत्री किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हुए हैं।
उन्होंने कहा कि युद्ध के समय इजराइल को शक्तिशाली बनाए रखने के लिए जरूरी है कि तुरंत चुनाव कराए जाएं और नेतन्याहू के प्रधानंत्री पद से हटाया जाए।
इस जनरल ने कहा कि नेतन्याहू अपने निजी हितों के लिए सेना को खतरे में डाल रहे हैं। हमास की कैद में हमारे सैनिक मारे जा रहे हैं और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने गठबंधन सरकार और आपातकालीन कैबिनेट में मतभेदों के बारे में बात की और वह वास्तव में युद्ध की स्थिति में चुनाव कराना चाहते थे, जिसे नेतन्याहू ने अस्वीकार कर दिया था।
गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से ही नेतन्याहू की नीतियो को लेकर कई वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री की आलोचना की है।
7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने के साथ ही जब नेतन्याहू ने यह एलान किया कि यह युद्ध तब तक चलेगा जब तक हमास को समाप्त नहीं कर लिया जाता, तभी कई जानकारों और विश्लेषकों ने इसे एक बड़बोलापन बताते हुए कहा था कि हमास को समाप्त करना संभव नहीं है।
नेतन्याहू ने यह भी कहा था कि सभी इजराइली बंदियों को सुरक्षित देश वापस लाया जाएगा, लेकिन 100 दिन से अधिक बीत जाने के बावजूद अब तक युद्ध के माध्यम से न केवल यह कि कोई बंदी वापस नहीं आया है, बल्कि कई इजराइली बंदियों की मौत खुद अपनी ही सेना की बमबारी या फिर सीधे गोलीबारी में हो चुकी है।
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि हमास की कैद में मौजूद इजराइली बंदियों को युद्ध के द्वारा छुड़ा पाना संभव नहीं है और इसके लिए कूटनीतिक और राजनीतिक हल निकालने की आवश्यकता है।