चीन से सटे इलाकों को पर्यटकों के लिए खोलेगी भारत सरकार
केंद्र सरकार चीन की सीमा से सटे गाँवों को पर्यटकों के लिए खोलने की योजना बना रही है. अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है.
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![चीन से सटे इलाकों को पर्यटकों के लिए खोलेगी भारत सरकार](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2022-03/chine.webp)
अख़बार के अनुसार केंद्रीय बजट 2022-23 के केंद्रीय बजट के तहत घोषित वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के ज़रिए ये योजना शुरू की जाएगी.
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिमाच प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रेदश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ इस मामले पर बैठक की.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से अख़बार लिखता है कि इस योजना के बजट प्रावधानों को अनुमोदन के लिए व्यय वित्त समिति को भेज दिया गया है, जिसके बाद योजना को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा.
लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलेपमेंट काउंसिल (एलएएचडीसी) के चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव काउंसिलर ताशी ग्यालसन ने बताया कि हर सीमावर्ती गांव को मजबूत करने के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत ज़िला स्तर पर पूर्वाभ्यास चल रहा है.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 23 फ़रवरी को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वर्चुअल बैठक के दौरान पर्यटन और संस्कृति पर ज़ोर दिया गया. अख़बार के अनुसार अधिकारी ने बताया, "वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में आजीविका सृजन, रोड कनेक्टिविटी, आवास, ग्रामीण बुनिया ढाँचा, नवीकरणीय ऊर्जा, टेलीविज़न और ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जुड़े काम किए जाएंगे."
आंतरिक मामलों पर बनी एक संसदीय समिति ने दिसंबर 2021 में दी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि लद्दाख के गांवों, खासतौर पर चुमार और देमचोक जैसे ज़ीरो बॉर्डर पर स्थित गांवों तक बिजली पहुंचानी चाहिए ताकि इन इलाकों से लोगों के पलायन को रोका जा सके.
भगवंत मान के डीजीपी से मिलने के बाद पंजाब के 122 नेताओं की सुरक्षा हटी
पंजाब के मुख्यमंत्री बनने जा रहे भगवंत मान के राज्य डीजीपी वीके भावरा से मिलने के एक दिन बाद ही पूर्व कांग्रेस मंत्री और विधायकों सहित 122 नेताओं को मिली सुरक्षा वापस ले ली गई है.
अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, इस सूची में अधिकतर पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का नाम है, जिन्हें पूर्व की कांग्रेस सरकार में सुरक्षा मिली थी. इस सूची में उन कांग्रेस विधायकों का भी नाम है, जो इस बार भी जीते हैं लेकिन अब कैबिनेट मंत्री नहीं रहे.
जिन वरिष्ठ नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें मनप्रीत सिंह बादल, राज कुमार वेरका, भारत भूषण आशु, रणदीप सिंह नाभा, विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर अजायब सिंह भट्टी, पूर्व स्पीकर राणा केपी सिंह, रज़िया सुल्ताना, परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वार्रिंग, अरुणा चौधरी, राणा गुरजीत सिंह, तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया और अन्य शामिल हैं.
सूची में पूर्व विधायक और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का नाम भी शामिल है. आदेश के मुताबिक, उनकी सुरक्षा में लगे सात जवानों को हटा दिया गया है.
शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के दामाद आदेश प्रताप कैरों की भी सुरक्षा वापस ले ली गई है. सूची में पूर्व आम आदमी पार्टी विधायक जगतार सिंह हिस्सोवाल, एचएस फूल्का, नज़र सिंह, अमरजीत सिंह सनडोआ और रुपिंदर कौर रूबी के नाम भी शामिल हैं.
शपथग्रहण से पहले ही यूपी में चुनावी वादे पूरे करने में जुटे योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के कार्यकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथग्रहण से पहले ही अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए कुछ वादों को पूरा करना शुरू कर दिया है.
अंग्रेज़ी अख़बार द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक़, योगी आदित्यनाथ के शपथग्रहण को लेकर रविवार को उनके नई दिल्ली दौरे पर चर्चा होगी. योगी आदित्यनाथ रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के अन्य शीर्ष नेताओं से मिलने वाले हैं.
इससे पहले शनिवार को योगी आदित्यनाथ ने राज्य के चीफ़ सेक्रेटरी सहित अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इस दौरान घोषणापत्र में किए गए कुछ अहम वादों को पूरा करने के लिए रोडमैप पर भी चर्चा की गई. इसमें हर साल होली और दिवाली के मौके पर दो एलपीजी सिलेंडर मुफ़्त देने का वादा भी शामिल है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया गया, "होली में अब एक सप्ताह का समय भी नहीं बचा है और इतने कम समय में चुनावी वादा पूरा करना अहम माना जा रहा है." अधिकारी ने कहा कि सरकार इन चुनावी वादों को आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए पूरा करना चाहती है. उत्तर प्रदेश के मथुरा, एटा और मैनपुरी में अभी भी आचार संहिता लगी हुई है.
इसके अतिरिक्त योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों के साथ किसानों को सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली देने के वादे पर भी चर्चा शुरू कर दी है. ये एक अन्य चुनावी वादा है जिसे सरकार सबसे पहले पूरा करना चाहती है.