क्या डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या को रोका जा सकता था?
हरियाणा के नूह में डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की खनन माफियाओं द्वारा हत्या ने एक बार फिर इस धंधे को सुर्खियों में ला दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस हत्या को रोका जा सकता था?
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एक डीएसपी की हत्या बहुत दुखद है, लेकिन सवाल ये है कि क्या इसे रोका जा सकता था, न यहां अवैध ख़नन नई बात है, न ही पुलिस से होने वाली झड़पें। और ये रुक ही नहीं रही हैं, ऐसा क्यों हैं?
हरियाणा के तावडू और आसपास के लोगों के लिए अवैध खनन करने वालों और पुलिस के बीच होने झड़पें नई नहीं हैं। लोगों का दावा है कि सड़कों पर अवैध पत्थर से भरे डंपर देखे जा सकते हैं।
तावड़ू बाईपास के पास रहने वाले योगेश बताते हैं, "मैंने कई बार इसी सड़क पर अवैध पत्थर से भरे ट्रेक देखे हैं, ये हमारी लिए बहुत आम बात है, कई बार पुलिस की गाड़ियों को उनका पीछा करते भी देखा है।"
पास ही बिजली के तारों को दिखाते हुए वो कहते हैं, "कुछ दिनों पहले ही पुलिस एक डंपर का पीछा कर रही थी, उसने यहीं पर अपनी ट्रॉली पलट दी और सारे पत्थर गिरा दिए, आप देख सकते हैं, वहाँ तारों को भी काफ़ी नुकसान हुआ।"
आमतौर पर पीछा किए जाने पर ये डंपर ट्ऱ़ॉली पलट देते हैं, उसमें रखे सारे पत्थर सड़क पर गिर जाते हैं, और पुलिस आगे नहीं बढ़ पाती और ड्राइवर भागने में कामयाब हो जाता है।
19 जुलाई को पास के एक गांव के पास तावड़ू के पुलिस उपाधीक्षक यानी डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई पर डंपर चढ़ाकर उनकी हत्या कर दी गई है। उनकी लाश जिस जगह मिली वहाँ भी ऐसे ही पत्थर गिरा दिए गए थे।
डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या जिस जगह हुई वहाँ पहुंचना आसान नहीं है। पचगांव में जहां पर सड़कें ख़त्म हो जाती हैं, वहां से क़रीब बीस मिनट तक पहाड़ी इलाकों की कच्ची सड़कों से होते हम वहां पहुंच पाए।
आसपास के लोगों ने बताया कि इन जगहों पर खनन की वारदातें आम हैं। कुछ जगहों पर हमें पत्थर गिरे हुए भी दिखे। वहीं मौजूद एक गांववाले ने कहा, "ये मज़बूत पहाड़ हैं। इनमें से ऐसे पत्थर तभी निकलते हैं, जब आप इन्हें ड्रिल करें, यानी साफ़ है कि यहां पर खनन हो रहा है।"
गांववालों ने बताया कि आसपास के गांव के कई लोग इससे जुड़े हुए, कुछ के पास मशीनें और डंपर हैं, कुछ हाथ से ही खनन करते हैं, तो कुछ लोग दूसरों के लिए मज़दूरी करते हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, "आसपास के गांव के लोग, जिनके पास कोई मशीन नहीं है, वो अपने हाथों से खुदाई करते हैं। इनकी संख्या बहुत है, ड्रिलिंग मशीनों के पुलिस की नज़र में आने का ख़तरा भी होता है।"
स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि पुलिस और खनन करने वालों का आमना सामना होता रहा है और उन्हें ख़तरे का अंदाज़ा था, और ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या डीएसपी सुरेंद्र सिंह का बिना सुरक्षा के वहाँ जाना सही था? हरियाणा पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि चेकिंग के दौरान सभी नियमों का पालन किया गया था।
उन्होंने कहा, "ये एक रूटीन चेंकिग थी, दिन में चेकिंग होती है, नाका पर चेंकिग होती है, उसमें ड्यूटी निर्धारित होती है, ऐसे दिन में चेकिंग हो रही थी। उन्हें सूचना मिली की वहां अवैध खनन हो रहा है, कितनी मात्रा में इसकी जानकारी नहीं थी, तो वहां वो निकल लिए, जब वो वहां पहुंचे तो पुलिस की गाड़ी देख डंपर ड्राइवर ने भगाना शुरू कर दिया। वो रोड ऊंचाई पर थी, थोड़ी दूर जा कर उन्होंने रोक लिया। डीएसपी को लगा कि वो पुलिस को देखकर रुक गए, इसलिए वो अपनी जीप से बाहर आए। लेकिन वो रुके थे जैक उठाकर पत्थर गिराने के लिए। उन्होनें पत्थर गिराए इस दौरान उनको कुचल दिया।"
अरावली पर्वत श्रृखला हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली समेत कई राज्यों से ग़ुज़रती हैं और कई तरह के जानवरों और पक्षियों का घर हैं।
साल 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में खनन पर रोक लगा दी थी लेकिन अवैध खनन के मामले लगातार सामने आते रहते हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हाल में ही हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद प्रशासन को निर्देश दिया अवैध खनन रोकने के लिए एक संयुक्त समिति का आदेश दिया है।